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________________ भगवती सूत्र श. १७ : उ. ३ : सू. ४२-४७ ४२. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-नैरयिक क्षेत्र - एजना नैरयिक- क्षेत्र - एजना है ? पूर्ववत् ! इतना विशेष है - नैरयिक क्षेत्र - एजना वक्तव्य है। इसी प्रकार यावत् देव-क्षेत्र- एजना । इसी प्रकार काल एजना, इसी प्रकार भव-एजना, इसी प्रकार भाव एजना, इसी प्रकार यावत् देव-भाव एजना की वक्तव्यता । चलना पद ४३. भंते! चलना कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! चलना तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे- शरीर चलना, इन्द्रिय- चलना, योग- चलना । ४४. भंते! शरीर चलना कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे - औदारिक- शरीर चलना यावत् कार्मण-शरीर - चलना । ४५. भंते! इन्द्रिय-चलना कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे- श्रोत्रेन्द्रिय-चलना यावत् स्पर्शनेन्द्रिय-चलना । ४६. भंते! योग- चलना कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है ? गौतम ! तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे - मन- योग- चलना, वचन-योग- चलना, काय-योग - चलना । ४७. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है- औदारिक शरीर चलना औदारिक- शरीर- चलना है ? - गौतम ! औदारिक- शरीर में वर्तमान जीव औदारिक- शरीर - प्रायोग्य द्रव्यों को औदारिक- शरीर के रूप में परिणत करते हुए औदारिक- शरीर की चलना करते थे, चलना करते हैं, चलना करेंगे। इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है - यावत् औदारिक- शरीर चलना है। भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - वैक्रिय - शरीर चलना वैक्रिय शरीर चलना है। पूर्ववत्, इतना विशेष है - वैक्रिय - शरीर में वर्तमान जीव। इसी प्रकार यावत् कार्मण- शरीर- चलना की वक्तव्यता । भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - श्रोत्रेन्द्रिय-चलना श्रोत्रेन्द्रिय-चलना है ? गौतम ! श्रोत्रेन्द्रिय में वर्तमान जीव श्रोत्रेन्द्रिय प्रायोग्य द्रव्यों को श्रोत्रेन्द्रिय के रूप परिणत करते हुए श्रोत्रेन्द्रिय की चलना करते थे, चलना करते हैं, चलना करेंगे। इस अपेक्षा से कहा जा रहा है - यावत् श्रोत्रेन्द्रिय-चलना है। इसी प्रकार यावत् स्पर्शनेन्द्रिय-चलना की वक्तव्यता । भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है - मन- योग- चलना मन-योग- चलना है ? गौतम ! मन- योग में वर्तमान जीव मन योग- प्रायोग्य द्रव्यों को मन-योग के रूप में परिणत करते हुए मन-योग की चलना करते थे, चलना करते हैं, चलना करेंगे। इस अपेक्षा से ६२०
SR No.032417
Book TitleBhagwati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages590
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size15 MB
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