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________________ भगवती सूत्र श. १० : उ. ५ : सू. ७५-८१ ७५. भंते! वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बलि के लोकपाल महाराज सोम के कितनी अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं ? आर्यो ! चार अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे-मीनका, सुभद्रा, विद्युत्, असनी । उनमें से प्रत्येक देवी के एक-एक हजार देवी का परिवार है। शेष सोम चमर की भांति वक्तव्यता । इसी प्रकार यावत् वरुण की वक्तव्यता । ७६. भंते! नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के कितनी अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं ? आर्यो ! छह अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे- अला, शक्रा, सतेरा, सौदामिनी, इन्द्रा, घन- विद्युत् । उनमें प्रत्येक देवी के छह-छह हजार देवी का परिवार प्रज्ञप्त है। ७७. क्या एक देवी अन्य छह-छह हजार देवी परिवार की विक्रिया करने में समर्थ है ? हां, है । इसी प्रकार पूर्व अपर सहित छत्तीस हजार देवी - परिवार विक्रिया करने में समर्थ है। यह है अंतःपुर की वक्तव्यता । ७८. भंते! नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण धरण सिंहासन पर दिव्य भोगार्ह भोगों को भोगते हुए विहरण करने में समर्थ हैं ? शेष पूर्ववत्, इतना विशेष है- धरण राजधानी में, धरण सिंहासन पर, स्व-परिवार के साथ । शेष रायपसेणइय (सूत्र ७) की भांति वक्तव्य है । ७९. भंते! नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल महाराज कालवास के कितनी अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं ? आर्यो! चार अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे- अशोका, विमला, सुप्रभा, सुदर्शना। उनमें प्रत्येक देवी के एक-एक हजार देवी का परिवार है। शेष चमर लोकपाल की भांति वक्तव्यता । इसी प्रकार धरण के शेष तीन लोकपालों की वक्तव्यता । ८०. भंते! भूतानंद की पृच्छा । आर्यो ! छह अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रूपा, रूपांशा, सुरूपा, रूपकावती, रूपकांता, रूपप्रभा । उनमें प्रत्येक देवी के छह-छह हजार देवी का परिवार है । अवशेष धरण की भांति वक्तव्य है । 1 ८१. भंते! नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानंद के लोकपाल नागचित्त की पृच्छा । आर्यो! चार अग्रमहिषियां प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सुनंदा, सुभद्रा, सुजाता, सुमना । उनमें प्रत्येक देवी के एक-एक हजार देवी का परिवार है। शेष चमर लोकपाल की भांति वक्तव्य है । इसी प्रकार भूतानंद के शेष तीन लोकपालों की वक्तव्यता । जो दक्षिण दिशा के इन्द्र हैं, उनकी धरणेन्द्र की भांति वक्तव्यता । उनके लोकपालों की भी धरणेन्द्र लोकपालों की भांति वक्तव्यता । इतना विशेष है सब इन्द्रों की राजधानी और सिंहासन सदृश नाम वाले हैं। परिवार मोक- उद्देशक (भगवई ३/४ ) की भांति वक्तव्य है । सब लोकपालों की राजधानी और सिंहासन भी सदृश नाम वाले हैं, उनका परिवार चमर लोकपाल की भांति वक्तव्य है । ३९९
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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