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________________ भगवती सूत्र श. ९ : उ. ३२ : सू. ९७,९८ ९७. भंते! दस नैरयिक नैरयिक- प्रवेशनक में प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में होते हैं ? – पृच्छा । गांगेय ! रत्नप्रभा में होते हैं यावत् अथवा अधः सप्तमी में होते हैं। अथवा एक रत्नप्रभा में और नौ अधः सप्तमी में होते हैं। इस प्रकार जैसे नौ नैरयिकों के द्वि-संयोगज यावत् सप्त-संयोगज भंग कहे गए हैं, वैसे ही दस नैरयिकों के वक्तव्य हैं, इतना विशेष है - एक-एक अभ्यधिक संचारणीय है, शेष पूर्ववत् पश्चिम आलापक - अथवा चार रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में यावत् एक अधः सप्तमी में होता है । ९८. भंते! संख्येय नैरयिक नैरयिक- प्रवेशनक में प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में होते हैं ? -पृच्छा । गांगेय ! रत्नप्रभा में होते हैं यावत् अथवा अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में और संख्येय शर्कराप्रभा में होते हैं । इस प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं। अथवा दो रत्नप्रभा में और संख्येय शर्कराप्रभा में होते हैं। इस प्रकार यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा तीन रत्नप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं । इस प्रकार इस क्रम से एक-एक संचारणीय है, यावत् अथवा दस रत्नप्रभा में और संख्येय शर्कराप्रभा में होते हैं। इस प्रकार यावत् अथवा दस रत्नप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं, अथवा संख्येय रत्नप्रभा में और संख्येय शर्कराप्रभा में होते हैं यावत् अथवा संख्येय रत्नप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं, अथवा एक शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं। इस प्रकार जैसे रत्नप्रभा - पृथ्वी से ऊर्ध्ववर्ती पृथ्वियों के साथ विकल्पना की गई है वैसे ही शर्कराप्रभा से ऊर्ध्ववर्ती पृथ्वियों के साथ विकल्पना करनी चाहिए यावत् अथवा संख्येय तमा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्येय पंकप्रभा में होते हैं यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं। अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं, यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में, तीन शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं। इस प्रकार इस क्रम से एक-एक शर्कराप्रभा में संचारणीय है यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, संख्येय वालुकाप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं। अथवा दो रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा तीन रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं। इस प्रकार इस क्रम से प्रत्येक रत्नप्रभा में संचारणीय है, यावत् अथवा संख्येय रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय वालुकाप्रभा में होते हैं यावत् अथवा संख्येय रत्नप्रभा में, संख्येय शर्कराप्रभा में और संख्येय अधः सप्तमी में होते हैं अथवा ३५४
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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