SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 364
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र श. ८ : उ. ५ : सू. २३३-२३७ का सेवन करता है। अथवा अजाया (अभार्या) का सेवन करता है ? गौतम ! वह श्रमणोपासक की जाया का सेवन करता है, अजाया का सेवन नहीं करता । २३४. भंते! वह श्रमणोपासक शीलव्रत, गुण- विरमण, प्रत्याख्यान और पौषधोपवास की आराधना करता है, क्या उसकी जाया अजाया हो जाती है ? हां, उसकी जाया अजाया हो जाती है। २३५. भंते! यह कैसे कहा जा सकता है कोई पुरुष श्रमणोपासक की जाया का सेवन करता है, अजाया का सेवन नहीं करता ? गौतम ! उसका ऐसा संकल्प होता है-माता मेरी नहीं है, पिता मेरा नहीं है, भाई मेरा नहीं है, बहिन मेरी नहीं है, भार्या मेरी नहीं है, पुत्र मेरे नहीं हैं, पुत्री मेरी नहीं है, वधू मेरी नहीं है, फिर भी उसका प्रेयस् - बंधन विच्छिन्न नहीं होता । गौतम ! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है- कोई पुरुष श्रमणोपासक की जाया का सेवन करता है, अजाया का सेवन नहीं करता । २३६. भंते! श्रमणोपासक के स्थूल प्राणातिपात का पहले प्रत्याख्यान नहीं होता । भंते! फिर वह उसका प्रत्याख्यान करता हुआ क्या करता है ? गौतम ! वह अतीत का प्रतिक्रमण, वर्तमान का संवरण और अनागत का प्रत्याख्यान करता है। २३७. अतीत का प्रतिक्रमण करता हुआ क्या १. वह तीन योग का तीन करण प्रतिक्रमण करता है? २. तीन योग का दो करण से प्रतिक्रमण करता है ? ३. तीन योग का एक करण से प्रतिक्रमण करता है ? ४. दो योग का तीन करण से प्रतिक्रमण करता है ? ५. दो योग का दो करण से प्रतिक्रमण करता है ? ६. दो योग का एक करण से प्रतिक्रमण करता है ? ७. एक योग का तीन करण से प्रतिक्रमण करता है ? ८. एक योग का दो करण से प्रतिक्रमण करता है ? ९. एक योग का एक करण से प्रतिक्रमण करता है ? गौतम ! तीन योग का तीन करण से प्रतिक्रमण करता है, तीन योग का दो करण से प्रतिक्रमण करता है, इस प्रकार यावत् एक योग का एक करण से प्रतिक्रमण करता है । १. तीन योग का तीन करण से प्रतिक्रमण करने वाला न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है मन से, वचन से काया से २. तीन योग का दो करण से प्रतिक्रमण करने वाला न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है मन से, वचन से ३. अथवा न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है मन से, काया से ४. अथवा न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है वचन से, काया से ५. तीन योग का एक करण से प्रतिक्रमण करने वाला न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है मन से ६. अथवा न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है वचन से ७ अथवा न करता है, न करवाता है, न करने वाले का अनुमोदन करता है काया से ८. दो योग का तीन करण से प्रतिक्रमण करने वाला न करता है, न करवाता है मन से, वचन से, काया से ९. अथवा न करता है, न करने वाले का अनुमोदन २९४
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy