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________________ भगवती सूत्र श. १ : उ. ६ : सू. २८८-२९५ और लोभ प्रतनु (पतले) थे। वह मृदु-मादव-सम्पन्न, आलीन (संयतेन्द्रिय) और विनीत था। वह श्रमण भगवान् महावीर के न अति दूर और न अति निकट, ऊर्ध्वजानु अधःसिर–इस मुद्रा में और ध्यान-कोष्ठ में लीन होकर संयम और तप से अपने आपको भावित करता हुआ रह रहा है। २८९. उस समय अनगार रोह के मन में एक श्रद्धा उत्पन्न हुई यावत् भगवान् महावीर की पर्युपासना करता हुआ वह इस प्रकार बोला२९०. भन्ते! क्या पहले लोक और फिर अलोक बना? क्या पहले अलोक और फिर लोक बना? रोह ! लोक और अलोक पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-लोक और अलोक में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। २९१. भन्ते! क्या पहले जीव और फिर अजीव बने? क्या पहले अजीव और फिर जीव बने? रोह ! जीव और अजीव पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-जीव और अजीव में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। २९२. भन्ते! क्या पहले भवसिद्धिक और फिर अभवसिद्धिक बने? क्या पहले अभवसिद्धिक और फिर भवसिद्धिक बने? रोह ! भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। २९३. भन्ते! क्या पहले सिद्धि और फिर असिद्धि बनी? क्या पहले असिद्धि और फिर सिद्धि बनी? रोह ! सिद्धि और असिद्धि पहले भी थीं और आगे भी रहेंगी। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-सिद्धि और असिद्धि में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। २९४. भन्ते! क्या पहले सिद्ध और फिर असिद्ध बने? क्या पहले असिद्ध और फिर सिद्ध बने? रोह! सिद्ध और असिद्ध पहले भी थे और आगे भी होंगे। ये दोनों शाश्वत भाव हैं। रोह! यह अनानुपूर्वी है-सिद्ध और असिद्ध में पूर्व-पश्चात् का क्रम नहीं है। २९५. भन्ते! क्या पहले अण्डा और फिर मुर्गी पैदा हुई? क्या पहले मुर्गी और फिर अण्डा पैदा हुआ? रोह ! वह अण्डा कहां से पैदा हुआ? भगवन् ! मुर्गी से। वह मुर्गी कहां से पैदा हुई? भन्ते! अण्डे स। ३७
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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