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________________ भरत चरित ७१ २. पहला संग्राम अनिमेष दृष्टि का स्थापित किया गया। उसमें भरतजी हार गए। जब सूर्य सामने आया तो उन्होंने पलकें झपका दीं। ३. देवताओं ने फूलों की वर्षा की और कहा- बाहुबलजी जीत गए। पर भरतजी अपने वचन से बदल गए और कहा- मैं इसे संग्राम नहीं मानता। ४. तब बाहुबलजी बोले- दूसरा संग्राम करो। मैंने पहला संग्राम जीत लिया है तो दूसरा कैसे हारूंगा?। ५. दूसरा संग्राम कलई छुड़ाने का हुआ। बाहुबलजी ने तत्काल अपनी कलई छुड़ाली। भरतजी बाहुबलजी से कलई नहीं छुड़ा सके। यहां भी भरतजी पराजित हो गए। ६. देवताओं ने फिर फूलों की वर्षा की और कहा- बाहुबल राजा जीत गए। पर भरतजी फिर बदल गए। कहने लगे- तीसरा संग्राम करेंगे। ७. बाहुबलजी बोले- चलो, फिर तीसरा संग्राम करो। अब मेरी विजय हो जाए तो बदल मत जाना। ८. तीसरा भुजा झुकाने का संग्राम स्थापित हुआ। बाहुबलजी ने भरतजी की भुजा को झुका दिया। पर भरतजी से बाहुबलजी की भुजा नहीं झुक सकी। यहां भी भरत महाराज पराजित हो गए। ९. देवताओं ने फिर फूलों की वर्षा की और कहा- बाहुबलजी संग्राम जीत गए। भरतजी फिर बदल गए। कहने लगे-चौथी बार संग्राम करेंगे। १०. बाहुबलजी ने कहा- खुशी से चौथा संग्राम करें, जिसके भाग्य में राज्य लिखा हुआ होगा वह आगे-पीछे नहीं होगा। ११. चौथा संग्राम परस्पर जल उछालने का स्थापित हुआ। यहां भी भरतजी पराजित हुए और बाहुबल राजा जीत गए।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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