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________________ ७० २. ३. जब फूल विरखा देवता करी रे, कहें जीता बाहूबल तांम | जब भरतजी वदले गया रे, ओ तों नही मांनूं संग्रांम ॥ ४. ५. भिक्षु वाङ्मय - खण्ड - १० पेंहलो संग्रांम थाप्यो निजरनो रे, तिणमें गया भरतजी हार । सूर्य सनमुख आयो तेहनें, तिणसूं आंख्या दीधी मिटकार ।। ७. जब बाहुबलजी इम बोलीया रे, फेर बीजो करों हूं पहिलो संग्रांम जीतों खरो रे, तो बीजों किम हारसूं संग्रांम । तांम ॥ । बीजो संग्रांम पुणचो छोडावणों रे, ते बाहुबल दीयों छुडाय । भरतसूं पुणचों छूटों नही रे, इहां पिण हार्यों भरत माहाराय ।। ६. वळे फूल विरखा देवतां करी रे, कहें जीता बाहुबल राय । जब फेर भरतजी वदलीया रे, तीजों सग्रांम करसां ताहि ।। सग्रांम | जब फेर बाहुबल बोलीयों रे, वळे तीजों करों वळे जीत हुवे जो मांहरी रे, तो अब कें मत फिरजों तांम ॥ ८. तीजो संग्रांम बांह नमावणी रे, ते पिण बाहुबल दीधी नमाय । भरतसूं बांहि नमी नही रे, इहां पिण हाय भरत माहाराय ।। ९. वळे फूल विरखा देवतां करी रे, कहें जीता बाहुबल राड । जब फेर भरतजी वदलीया रे, राड करसां चोथी वार ।। १०. जब बाहूबलजी फेर बोलीया रे, जोख सू करो चोथो संग्रांम । ज्यारे भाग में राज लिखीयों हुसी जी, आगों पाछो न हुवें तांम ॥ ११. चोथो संग्राम वळे थापीयो जी, जल उछालणो माहो माहि । तिहां पिण भरतजी हारीया रे, जीतो बाहूबल राय ।।
SR No.032414
Book TitleAcharya Bhikshu Aakhyan Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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