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________________ 80 वाक्य 1. मम पादुके गृहाण तस्मै च देहि-मेरी खड़ाऊं ले और उसको दे । 2. पश्य, तत् धूम्रयानं कथं शीघ्रं गच्छति - देख, वह रेलगाड़ी कैसी जल्दी जाती है। 3. मेषः धावति परन्तु अश्वः तिष्ठति-मेढ़ा दौड़ता है, परन्तु घोड़ा खड़ा है। 4. इह इदानीं श्रीकृष्णः हवनार्थम् आगमिष्यति - यहाँ अब श्रीकृष्ण हवन के लिए आएगा । 5. सः इदानीं सन्ध्याम् उपास्य पठनम् आरभते - वह अब सन्ध्या करके पढ़ना आरम्भ करता है । 6. त्वं माम् अधुना किम् आज्ञापयसि - तू अब मुझे क्या आज्ञा करता है ? 7. शृणु, त्वम् इदानीं वनं न गच्छ, अत्र एव तिष्ठ - सुन, तू अब वन को न जा (और) यहीं ठहर । 8. किं त्वं कुशलः असि इदानीम् - क्या अब तू नीरोग है ? 9. अहमिदानीं' कुशलः अस्मि - मैं अब स्वस्थ हूँ । 10. भो मित्र ! तण्डुलाः कुत्र सन्ति - हे मित्र ! चावल कहाँ हैं ? 11. सः यथा श्रुतमस्ति' तथा एव वदति - वह जैसा सुनता है वैसा ही बोलता है । 12. यथा-यथा सः मालिन्यं त्यजति, तथा तथा शुद्धः भवति - जैसे-जैसे वह मलिनता छोड़ता है, वैसे-वैसे शुद्ध होता है । शब्द कथा-कथा को । व्याख्यानम् - व्याख्यान को । श्रवणाय - सुनने के लिए । शिवालये - शिवालय में । दास्यसि - तू देगा । त्यक्त्वा - छोड़कर । स्थापय-रख । उपदेशम् - उपदेश को । पण्डितः - पंडित, विद्वान् । उद्याने- बाग़ में। दास्यति - वह देगा । दास्यामि – दूंगा । - दृष्ट्वा - देखकर | चल-चल, जा । वाक्य 1. त्वम् इदानीं कुत्र गन्तुम् इच्छसि - तू अब कहाँ जाना चाहता है ? 2. अहमद्य उपदेशं श्रोतुं गच्छामि - मैं आज उपदेश सुनने के लिए जाता हूँ । 1. अहम् इदानीम् । 2. श्रुतम् अस्ति । 3. अहम् अद्य ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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