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________________ सुनने का अभ्यास हो जाए। कई लोग शब्द तथा वाक्य मन में ही याद करते हैं, यह बड़ी भारी ग़लती है। जब तक भाषा सुनने का कानों को अभ्यास न होगा, तब तक कोई भाषा अच्छी तरह नहीं आ सकती। इस कारण दो विद्यार्थियों का साथ पढ़ना बहुत लाभकारी होता है तथा बोलकर पढ़ने से भी लाभ हो सकता है। अब आगे लिखे हुए वाक्य स्मरण कीजिए वाक्य 1. तत्र शङ्करदासः गन्तुं शक्नोति न वा- वहाँ शंकरदास जा सकता है या नहीं ? 2. सः तत्र यदा गन्तुम् इच्छति तदा गच्छति - वह वहाँ जब जाना चाहता है, तब जाता है। 3. ईश्वरः सर्वत्र अस्ति - ईश्वर सब जगह है । 4. सः आपणं गत्वा कुण्डलिनीम् आनयति - वह बाज़ार जाकर जलेबी लाता है । 5. यदा सः पाटशालां न गच्छति, तदा उद्यानम् अपि न गच्छति - जब वह पाठशाला नहीं जाता, तब बाग़ भी नहीं जाता । 6. त्वं सदा किमर्थं नगरं गच्छसि - तू हमेशा शहर क्यों जाता है ? 7. श्वः जालन्धरनगरं गमिष्यति, देवव्रतं च आनेष्यति - वह कल जालन्धर आएगा और देवव्रत को ले आएगा । 8. यदि जानसनः घटिकायन्त्रं सुष्ठु करिष्यति तर्हि अहम् आनेष्यामि - अगर जानसन घड़ी को ठीक कर देगा तो मैं ले आऊँगा । 9. त्वम् औषधालयं कदा गमिष्यसि औषधं च कदा आनेष्यसि - तू दवाखाने कब जाएगा और दवा कब लाएगा ? 10. अहं सर्वदा फलं भक्षयामि, अन्नं कदापि नैव भक्षयामि - मैं हमेशा फल खाता हूँ, अन्न कभी नहीं खाता। 11. तस्मै धनं वस्त्रं अन्नं च देहि-उसको धन, कपड़ा और अन्न दे । 12. शीघ्रं रथम् आनय, अहं बहिः गन्तुम् इच्छामि - जल्दी गाड़ी ले आ, मैं बाहर जाना चाहता हूँ । 13. हे दास ! द्वारम् उद्घाटय, अहं आगन्तुम् इच्छामि - अरे नौकर ! दरवाज़ा खोल, मैं आना चाहता हूँ। 14. पानार्थं मह्यं मधुरं दुग्धं देहि-पीने के लिए मुझे मीठा दूध दे 1 (1) तस्मै फलं न देहि । ( 2 ) यस्मै त्वया अन्नं दत्तं तस्मै जलम् अपि देहि । ( 3 ) यस्मात् स्थानात् त्वम् अद्य आगतः तस्मात् स्थानात् यज्ञदत्तः अपि आगतः । (4) रामदेवः तत्र नास्ति इति कः वदति । (5) धर्मदत्तस्य एतत् पुस्तकम् अस्ति । ( 6 ) तत् सोमदत्तेन तत्र नीतम् । ( 7 ) कः प्रथमम् उत्तिष्ठति । ( 8 ) विश्वामित्रः शीघ्रं वदति। 67
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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