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________________ 5. मम धनं तेन हृतम् - मेरा धन उसने चुरा लिया है। 6. मत् अन्नं गृहीत्वा तस्मै देहि मुझसे अन्न लेकर उसे दे । 7. मयि पातकं नास्ति - मुझमें पाप नहीं है । सुगम वाक्य तं मुनिं पश्य । सः मुनिः प्रातर् एव उत्तिष्ठति । सः प्रातर् उत्थाय किं करोति ? सः प्रातर् उत्थाय तपः आचरति । यज्ञमित्रः भूमित्रस्य पुत्रः अस्ति । सः तं मुनिं प्रणम्य अत्र आगच्छति । सः मुनिः कस्मात् स्थानात् अत्र आगतः इति त्वं जानासि किम् ? सः मुनिः कस्माद् ग्रामाद् अत्र आगतः अहं नैव जानामि, यज्ञमित्रः जानाति । हे मित्र, किं त्वं जानासि ? सः मुनिः अयोध्यानगरात् अत्र आगतः । कदा आगतः इति अहं न जानामि । सः सर्वं शास्त्रं जानाति । पाठ 20 इस समय तक आपके उन्नीस पाठ हो चुके हैं, और आपके पास नित्य व्यवहार में उपयुक्त होनेवाले बहुत शब्द आ चुके हैं। अगर आपने ये शब्द याद कर लिये होंगे तथा पाठों में जो वाक्य दिए हैं, उनकी पद्धति की ओर ध्यान देकर, उन वाक्यों को भी अच्छी तरह याद कर लिया होगा, तो दैनिक व्यवहार में उपयोगी कुछ वाक्य आप बना सकेंगे ! प्रत्येक पाठ में दस-बीस नये उपयोगी शब्द आते हैं और जो पाठक उनका उपयोग करेंगे वे जल्दी संस्कृत बोल सकेंगे। आज के पाठ में कोई नया शब्द नहीं दिया जा रहा, जो शब्द और वाक्य पूर्वोक्त उन्नीस पाठों में आ चुके हैं, उन्हीं को आज आप दुबारा याद कीजिए, ताकि उन्हें भूल न जाएँ ! अगर आप पिछला पाठ भूलेंगे तो आगे नहीं बढ़ सकेंगे। हम ऐसे क्रम से वाक्य देने का यत्न करते हैं कि शब्दों को रटे बिना ही वे याद हो जाएँ। हमारा प्रयत्न सफल होने के लिए आपका दृढ़ अभ्यास भी तो आवश्यक है। आप नए संस्कृत-वाक्य बनाने के समय डरते होंगे कि शायद वाक्य अशुद्ध बनेंगे, परन्तु आप ऐसा डर मन में न लायें। आपके वाक्य शुद्ध हों अथवा अशुद्ध, कोई बात नहीं, आप वाक्य बनाते जाइए और साथ-साथ हमारे दिए हुए वाक्यों की पद्धति ध्यान में रखिए। आपके वाक्य धीरे-धीरे ठीक हो जाएँगे । इस पाठ में पहले आए हुए शब्दों में से कई नए वाक्य दिए गए हैं। स्वयं उनको विशेष ध्यान से पढ़िए। अगर आपके साथ पढ़नेवाला कोई नहीं है, तो आप 166 स्वयं ही ऊँचे स्वर से पढ़ते रहिये । तात्पर्य यह है कि आपके कानों को संस्कृत भाषा
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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