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________________ 11. सः नवीनं पुस्तकं लिखति किम्-वह नई पुस्तक लिखता है क्या ? 12. तस्य गृहम् अतीव पुराणम् अस्ति-उसका घर बहुत पुराना है। 13. भो मित्र ! एतत् आसनं गृहाण-मित्र ! यह आसन ले। शब्द अनृतम्-असत्य, झूठ। प्रियम्-प्रिय। अलङ्कारः-भूषण, ज़ेवर। अध्यापकः-पढ़ानेवाला। वक्ता-बोलनेवाला। किरणः-किरन। वृथा-व्यर्थ। अप्रियम्-अप्रिय। भव-हो। आचार्यः-गुरु, शिक्षक। तूष्णीम्-चुपचाप। प्रियवादी-प्रिय बोलनेवाला। असत्यवादी-झूठ बोलनेवाला। वाक्य 1. किमर्थम् अनृतं वदसि-तू क्यों असत्य बोलता है ? 2. अहं कदापि असत्यं नैव वदामि-मैं कभी असत्य नहीं बोलता। 3. सः वक्ता सदा एव अप्रियं वदति-वह (बोलनेवाला) सदा अप्रिय बोलता है। 4. किं त्वम् अलङ्कारं गृहासि-क्या तू जेवर लेता है ? 5. आचार्यः सत्वरम् आगमिष्यति-गुरु शीघ्र आएगा। 6. सः अध्यापकः शीघ्रं न गमिष्यति-अध्यापक शीघ्र नहीं जाएगा। 7. सत्यं प्रियं च वद-सत्य और प्रिय बोल। 8. सः तत्र तूष्णीं तिष्ठति-वह वहाँ चुपचाप बैठा है। 9. बालकः तूष्णीं नैव तिष्ठति-बालक चुप नहीं रहता। 10. सः आचार्यः सदा पुस्तकं पठति-वह शिक्षक सदा पुस्तक पढ़ता है। 11. सः एवं वृथा वदति-वह ऐसा व्यर्थ बोलता है। 12. सः प्रियवादी आचार्यः कुत्र गतः-वह प्रिय बोलनेवाला आचार्य कहाँ गया ? 13. सः अन्यं नगरं गच्छति-वह दूसरे शहर को जाता है। इस समय तक पाठकों ने अ, इ, उ, ऋ ये स्वर जिनके अंत में हैं, ऐसे पुल्लिंग शब्द प्रयोग का प्रकार जान लिया है। अब कुछ पुल्लिंग सर्वनामों के रूप देते हैं, जिनको जानने से पाठक संस्कृत में अनेक प्रकार के वाक्य बना सकते 58 हैं।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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