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________________ शब्द कन्या-पुत्री, लड़की। कृश-दुर्बल। मित्रम्-मित्र, दोस्त। पितृव्यः-चाचा। पिबसि-तू पीता है। पिबति-वह पीता है। पिबामि-पीता हूँ। संघातः-समूह। पास्यति-वह पिएगा। नास्ति-नहीं है। भ्राता-भाई। संयोगः-मिलाप। स्वसा-बहिन। जामाता-दामाद। अवश्यम्-अवश्य। नोचेत-नहीं तो। सन्धिः -सुलह, मित्रता। नैव-नहीं। पास्यसि-तू पिएगा। स्पष्टम्-साफ़। वाक्य 1. तव जामाता मधुरं दुग्धं रात्रौ पास्यति-तेरा दामाद रात्रि में मीठा दूध पिएगा। 2. अहं रात्रौ दुग्धं नैव पिबामि-मैं रात्रि में दूध नहीं पीता। 3. मम स्वसा उष्णं जलं पिबति-मेरी बहिन गरम पानी पीती है। 4. अहं कदा अपि उष्णं जलं पातुं न इच्छामि-मैं कभी भी गरम जल पीना नहीं चाहता। 5. तव भ्राता मद्रासनगरं कदा गमिष्यति-तेरा भाई मद्रास शहर कब जाएगा ? 6. यदि तव पिता गमिष्यति तर्हि सोऽपि गमिष्यति-अगर तेरा पिता जाएगा तो वह भी जाएगा। 7. नोचेत् नैव गमिष्यति-नहीं तो, नहीं जाएगा। 8. सः पीतम् उत्तरीयं कदा आनयति-वह पीला दुपट्टा कब लाता है ? 9. भो मित्र ! इदानीं पीतं वस्त्रं न आनय-हे मित्र ! इस समय पीला वस्त्र न ला। 10. मम रक्तं वस्त्रं कुत्र अस्ति, जानासि किम्-मेरा लाल कपड़ा कहाँ है, जानते हो क्या ? 11. अत्र दीपः नास्ति, न जानामि तव रक्तं वस्त्रम्-यहाँ दीया नहीं है, (मैं) तेरा लाल कपड़ा नहीं जानता। 12. इदानी सायंकालः जातः, भ्रमणाय गच्छ-अब शाम हो गई, घूमने के लिए जा। 13. त्वं कदा भ्रमणं करिष्यसि-तू कब भ्रमण करेगा ? 14. अहं प्रातः भ्रमणाय गच्छामि, न सायम्-मैं सवेरे घूमने जाता हूँ, शाम को नहीं। 15. त्वं कदा अपि न आगच्छसि-तू कभी भी नहीं आता है। 41
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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