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________________ धावनम् - दौड़ना । धावति - वह दौड़ता है । धावामि-दौड़ता हूँ । अन्तरिक्षे - आकाश में । शीतम् - ठण्डा । भ्रमणम् - घूमना । धूम्रयानेन - रेलगाड़ी से । बुभुक्षा- भूख । उष्णम् - गरम । पाठ 12 शब्द स्वीकरणम् - स्वीकार करना । धावसि - तू दौड़ता है । इच्छया - इच्छा से | - शहर में । नगरे -: रचनम् - रचना | पश्यसि - तू देखता है । पश्यामि - देखता हूँ । पिपासा - प्यास । वाक्य 1. सः इच्छया स्वीकरिष्यति - वह इच्छा से स्वीकार करेगा । 2. प्रकाशदेवः उद्याने व्यर्थं धावति - प्रकाशदेव बाग़ में व्यर्थ दौड़ता है। 3. त्वम् इदानीं किमर्थं धावसि - तू अब क्यों दौड़ता है ? 4. अहम् अधुना धावामि - मैं अब दौड़ता हूँ । 5. अन्तरिक्षे सूर्यं पश्यसि किम्-क्या तू आकाश में सूर्य को देखता है ? 6. रात्रौ सूर्यं न पश्यामि - रात्रि में सूर्य को नहीं देखता । 7. विश्वामित्रः भ्रमणाय सायं गमिष्यति किम् - विश्वामित्र घूमने के लिए क्या शाम को जाएगा ? 8. सः तत्र स्थातुम् इच्छति - वह वहाँ ठहरना चाहता है । 9. जालन्धरनगरे मम गृहम् अस्ति - जालन्धर शहर में मेरा घर है । 10. भो मित्र ! तव गृहं कुत्र अस्ति - मित्र, तेरा घर कहाँ है ? 11. मम गृहं पेशावरनगरे अस्ति- मेरा घर पेशावर शहर में है । 12. धूम्रयानेन त्वं तत्र गमिष्यसि किम् - रेलगाड़ी से वहाँ जाएगा क्या ? 13. अथ किंम्, धूम्रयानेन अहं तत्र परश्वः गमिष्यामि - और क्या, रेलगाड़ी से मैं वहाँ परसों जाऊँगा । 14. इदानीं पिपासा अस्ति, मह्यं शीतलं जलं देहि- अब प्यास लगी है, मुझे ठंडा जल दे । 15. अधुना बुभुक्षा न अस्ति, अन्नं न देहि- अब भूख नहीं है, अन्न न दे। 40
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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