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________________ 38 6. सः पत्रं लिखति - वह पत्र लिखता है 1 7. दीवानचन्द्रः धौतं वस्त्रम् आनयति - दीवानचन्द्र धोया हुआ कपड़ा लाता है। 8. रामकृष्णः इदानीं दीपं कुत्र नयति - रामकृष्ण अब दीया कहाँ ले जाता है ? 9. सः पठनाय दीपं पुस्तकं च नयति- वह पढ़ने के लिए दीया और पुस्तक ले जाता है । 10. कस्य पुस्तकम् अस्ति - किसकी पुस्तक है ? 11. मम पुस्तकम् अस्ति - मेरी पुस्तक है। 12. तव वस्त्रं नास्ति किम्-तेरा कपड़ा नहीं है क्या ? 13. सत्वरम् अत्र आगच्छ, पीतं पुष्प च पश्य - शीघ्र यहाँ आ और पीला फूल देख । पूर्व पाठों के अकारान्त शब्दों में रूप बनाने का प्रकार बताया गया है। अब इकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप बनाने का प्रकार बताते हैं इकारान्त पुल्लिंग 'रवि' शब्द 1. प्रथमा 2. द्वितीया 3. तृतीया 4. चतुर्थी 5. पञ्चमी 6. षष्ठी 7. सप्तमी रविः रविम् रविणा वये अग्निः - आग । अरिः - शत्रु । कविः - कवि । रवि से (द्वारा) रवि के लिए खेः रवि से रखेः रवि का, की, के aौ रवि में, पर सम्बोधन (हे) रखे हे रवि अग्नि, अरि, अहि, उदधि, कवि इत्यादि इकारान्त पुल्लिंग शब्द भी इसी प्रकार चलते हैं। पतत्रिः - पक्षी । शनिः - शनि, तारा । पाणिनिः - व्याकरणाचार्य | 'रवि' शब्द के समान ही इनके रवि (सूर्य) रवि को शब्द अहिः- साँप । उदधिः- समुद्र । :- बन्दर । बृहस्पतिः - देवताओं का गुरु । कपिःनृपतिः - राजा । गिरिः - पहाड़ । एकवचन के रूप होते हैं ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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