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________________ अकारान्त पुंल्लिंग शब्द लेखः-लेख। पाठः-पाठ। दैत्यः-राक्षस। पान्थः-मुसाफ़िर। अर्थः-पैसा, धन। करः-हाथ। कर्ण:-कान। चन्द्रः-चाँद। विप्रः-ब्राह्मण। सूर्यः-सूरज। दीपः-दीप, दीया। जन:-मनुष्य। समाजः-समाज। मृगः-हिरण। वानरः-बन्दर। अस्ताचलः-सूर्य जहाँ डूबता है वह दिवसः-दिन। पश्चिमी दिशा का पहाड़। स्वर्ग:-स्वर्ग। यत्नः-प्रयत्न, पुरुषार्थ। कुमारः-लड़का। पादः-पांव। वेदः-राजा, विद्वान्। पाठकों को चाहिए कि वे इनके सातों विभक्तियों के रूप 'देव' और 'राम' शब्दों के समान बनाएं। 1. स्नानाय जलं देहि-स्नान के लिए जल दे। 2. पठनाय पुस्तकम् अस्ति-पढ़ने के लिए पुस्तक है। 3. भोजनाय अन्नं भविष्यति किम्-भोजन के लिए अन्न होगा क्या ? 4. भक्षणाय फलं देहि-खाने के लिए फल दे। 5. तत्र सूर्यं पश्य-वहाँ सूर्य को देख। 6. विष्णुमित्रः कुमारम् अत्र किमर्थम् आनयति-विष्णुमित्र लड़के को यहाँ किसलिए लाता है ? 7. हरिश्चन्द्रः अग्नि तत्र नेष्यति किम्-हरिश्चन्द्र क्या आग को वहाँ ले जाएगा ? 8. पठनाय दीपं पुस्तकं च अत्र आनय-पढ़ने के लिए दीपक और पुस्तक यहाँ ले आ। 9. प्रातः स्नानाय गच्छामि-सवेरे स्नान के लिए जाता हूँ। 10. पानाय मधुरं दुग्धं देहि-पीने के लिए मीठा दूध दे। 11. अत्र स्वादु दुग्धम् अस्ति-यहाँ स्वादिष्ट दूध है। 12. किं स्वादु दुग्धम् अत्र नास्ति-क्या स्वादिष्ट दूध यहाँ नहीं है ? 13. स्नानाय जलं नय-स्नान के लिए जल ले जा।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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