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________________ पत्रिका' इत्यादि शब्दों के रूप बनते हैं । 'अम्बा, अक्का, अल्ला,' इत्यादि शब्दों के सम्बोधन के एकवचन के रूप 'अम्ब, अक्क, अल्ल' होते हैं। शेष रूप 'विद्या' के समान होते हैं । ईकारान्त स्त्रीलिंग 'लक्ष्मी' शब्द 1. लक्ष्मीः सम्बोधन (हे) लक्ष्मि लक्ष्मीम् लक्ष्म्या लक्ष्म्यै लक्ष्म्याः "" तत्+कुरु=तत्कुरु यत्+फलम्=यत्फलम् 2. लक्ष्मीः 3. लक्ष्मीभिः 4. लक्ष्मीभ्यः 5. लक्ष्मीभ्यः 6. लक्ष्मीणाम् 7. लक्ष्म्याम् लक्ष्मी इसी प्रकार 'नदी' शब्द के रूप होते हैं । परन्तु प्रथमा का एकवचन 'नदी' विसर्गरहित होता है, यह ध्यान में रखना चाहिये। बाकी के रूपों में कोई भेद नहीं । 'नदी' शब्द के समान ही 'श्रेयसी, कुमारी, बुद्धिमती, वाणी, सखी, गौरी, तरी, तन्त्री, अवी, स्तरी, इत्यादि स्त्रीलिंगी शब्दों के प्रथमैकवचन में विसर्गरहित रूप बनते हैं और शेष रूप लक्ष्मीवत् बनते हैं । सन्धि-नियम 1 – 'च्, छ, टू, श्' इनको छोड़कर अन्य कठोर व्यञ्जन के पूर्व आने वाला 'तू' वैसा ही रहता है । जैसे गृहात्+पततिगृहात्पतति लक्ष्म्यौ = 77 - 77 लक्ष्मीभ्याम् ", लक्ष्म्यः लक्ष्मीभ्याम् लक्ष्म्योः 77 "" सन्धि-नियम 2 - 'ज् झ् ड् ढ्, लू' इनको छोड़कर अन्य मृदु व्यञ्जन तथा स्वर के पूर्व के 'तू' का 'द्' होता है । जैसे I नगराद्वनम् नगरात् + वनम् तत् + गृहम् = तद्गृहम् एतत् + अस्ति दस्त तत् + आसीत् = तदासीत् 125
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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