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________________ समास-विवरण 1. सिन्धुजलम-सिन्धोः जलं सिंधुजलम्। 2. वानरश्रेष्ठान्-वानरेषु श्रेष्ठान् वानरश्रेष्ठान्। 3. जलपूर्णान्-जलेन पूर्णः, जलपूर्णः । तान जलपूर्णान् । 4. सुग्रीवविभीषणौ-सुग्रीवश्च विभीषणश्च सुग्रीव विभीषणौ। 5. पावनजलम्-पावनं जलम् पावनजलम् । 6. मुक्ताहारः-मुक्तानां हारः-मुक्ताहारः। 7. सुग्रीवादयः-सुग्रीवः आदिर्येषां ते सुग्रीवादयः। 8. सत्यसन्धः-सत्यः (सत्य) सन्धो यस्य सः सत्सन्धः सत्यप्रतिज्ञ। पाठ 20 यहां तक पाठकों के उन्नीस पाठ समाप्त हुए हैं। अब नपुंसकलिंग नामों के रूप बनाने का कार्य आरम्भ होता है। नपुंसकलिंग शब्द तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक प्रायः पुल्लिंग शब्द की भांति ही चलते हैं, केवल प्रथमा, द्वितीया में पुल्लिंग से भिन्न और परस्पर प्रायः एक-से रूप होते हैं। अकारान्त नपुंसकलिंग 'ज्ञान' शब्द 1. ज्ञानम् ___ ज्ञाने ज्ञानानि सम्बोधन (हे) ज्ञान 2. ज्ञानम् 3. ज्ञानेन ज्ञानाभ्याम् ज्ञानैः 4. ज्ञानाय ज्ञानेभ्यः 5. ज्ञानात् 6. ज्ञानस्य ज्ञानयोः ज्ञानानाम् 7. ज्ञाने ज्ञानेषु _ 'ज्ञान' शब्द के समान ही फल, धन, वन, कमल, गृह, नगर, भोजन, वस्त्र, भूषण इत्यादि अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप होते हैं। 102
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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