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________________ ( 6 ) तत् निरूपयामि तावत् । प्रकाशं ब्रूते "कुत्र तव कङ्कणम्" व्याघ्रो हस्तं प्रसार्य दर्शयति । (7) पान्योऽवदत् कथमारात्मके त्वयि विश्वासः । व्याघ्र उवाच - " शृणु रे पान्थ । प्राग् एव यौवनदशायाम् अतिदुर्वृत्त आसम् । ( 8 ) अनेक 'गोमानुषाणां वधान्मृता " पुत्राः दाराश्च । वंशहीनश्च 12 अहम् । में ( 9 ) तत् केनचिद् धार्मिकेणाहम् 3 आदिष्टः- दानधर्मादिकं चरतु भवान् । ( 10 ) तदुपदेशादिदानीम् " अहं स्नानशीलो दाता वृद्धो गलितनखदन्तो कथं न विश्वासभूमिः । ( 11 ) मम च एतावान् लोभ विरहो 5 येन स्वहस्तस्थम् अपि सुवर्णकङ्कणं यस्मै कस्मैचिद् दातुं इच्छामि । ( 12 ) तथापि व्याघ्रो मानुषं खादति इति लोकापवादो दुर्निवारः । यतो लोकः गतानुगतिकः मया च धर्मशास्त्राणि अधीतानि । (13) त्वं च अतीव दुर्गतस्तेन" तुभ्यं दातुं सयत्नोऽहम्” । तदत्र' सरसि स्नात्वा सुवर्णकङ्कणं गृहाण। कल्याण को नहीं देखता । (6) इसलिए देखता हूं। बाहर (खुले आवाज़ में) बोलता है - "कहां ( है ) ? तेरी चूड़ी ?" शेर हाथ खोल कर दिखाता है । (7) पथिक बोला - किस प्रकार हिंसारूप तेरे में विश्वास (हो) ? शेर बोला- “सुन रे पथिक ! पहले ही जवानी में ( मैं ) बहुत दुराचारी था । (8) बहुत गौओं, मनुष्यों के वध से मेरे पुत्र मर गए और स्त्रियां; और वंशरहित मैं ( हुआ)। ( 9 ) तब किसी धार्मिक ने मुझे कहा- दान धर्मादिक कीजिए आप । ( 10 ) उसके उपदेश से अब मैं स्नानशील, दाता, बुड्ढा, जिसके नाख़ून और दांत गल गए हैं, क्योंकर विश्वासयोग्य नहीं हूं । ( 11 ) और मेरा इतना लोभ से छुटकारा है कि अपने हाथ में पड़ा भी सोने का कंकण जिस-किसीको देना हूं ( 12 ) तथापि शेर मनुष्य को खाता है, लोगों में ऐसी निंदा है, वह दूर होनी कठिन है क्योंकि लोग अंधविश्वासी हैं, और मैंने धर्मशास्त्र पढ़े हैं।" (13) और तू बहुत बुरी हालत में है इसलिए तुझे देने के लिए मैं प्रयत्नवान् हूं। तो इस तालाब में स्नान करके सोने की चूड़ी ले लो । 62 9. पान्थाः + अवदत् । 10. व्याघ्रः +उवाच । 11 वधात्+मृता । 12. हीनः + च । 13. धार्मिकेण + अहं । 14. देशात्+इदानीं । 15. विरहः +येन । 16. दुर्गतः + तेन । 17. सयत्नः+अहं । 18. तद् +अत्र ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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