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________________ नोट-हिन्दी में 'इति' शब्द का सब जगह भाषान्तर नहीं होता। संस्कृत के मुहावरे भी भाषा के मुहावरों से भिन्न होते हैं। यहां संस्कृत की शब्द-रचना के अनुसार ही हिन्दी की वाक्य-रचना रखी है। इस कारण भाषान्तर अटपटा लगेगा, और उसे सही ढंग से समझ लेना चाहिए। समास-विवरण 1. स्वमित्रम्-स्वस्य मित्रं-स्वमित्रम्, स्ववयस्यः । 2. ज्वरातः-ज्वरेण आर्तः पीड़ितः, ज्वरपीड़ितः। 3. ज्वरावेगः-ज्वरस्य आवेगः ज्वरावेगः। 4. सादरम्-आदरेण सहितम् आदरयुक्तम्। 5. सकोपम्-कोपेन सहितं-सकोपम्, सक्रोधम् इत्यर्थः । पाठ 5 (हे), पिछले पाठों में अकारान्त तथा इकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप दिए गये हैं। संस्कृत में दीर्घ ईकारान्त शब्द भी हैं, परन्तु उनके प्रयोग बहुत नहीं होते, इसलिए उनको छोड़कर यहां उकारान्त पुल्लिंग शब्द के रूप दिये जा रहे हैंएकवचन द्विवचन बहुवचन 1. भानुः भानू भानवः सम्बोधन हे भानो 2. भानुम् भानून् 3. भानुना भानुभ्याम् भानुभिः 4. भानवे भानुभ्यः 5. भानोः 6. , भान्वोः भानूनाम् 7. भानौ भानुषु इसी प्रकार सूनु, शम्भु, विष्णु, वायु, इन्दु, विधु इत्यादि उकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप जानने चाहिए। पाठक इन शब्दों के रूप सब विभक्तियों में बनाकर लिखें, तथा तृतीय पाठ में दिए ढंग से हर रूप को वाक्य में प्रयुक्त करने का प्रयत्न करें। अगर दो विद्यार्थी साथ पढ़ते हों, तो एक-दूसरे से शब्दों के रूप सब विभक्तियों में परस्पर पूछकर, हर एक रूप का उपयोग भी परस्पर पूछे। इससे सब विभक्तियों 26 के रूपों की स्थिति समझ में आ जाएगी तथा उनका उपयोग कैसे किया जाता है,
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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