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________________ पाठ 1 जिन पाठकों ने प्रथम भाग अच्छी प्रकार पढ़ा है, और उसमें जो वाक्य तथा नियम दिए हुए हैं, उनको ठीक-ठीक याद किया है, तथा जिन्होंने उस के परीक्षा-प्रश्नों का उत्तर ठीक-ठीक दिया है-अर्थात् जो परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, उनको ही द्वितीय भाग के अभ्यास से लाभ होगा। इसलिए पाठकों से निवेदन है कि वे शीघ्रता न करें, तथा पहली पढ़ाई कच्ची रखकर आगे बढ़ने का यत्न न करें। प्रथम भाग के भली-भाँति पढ़ने से पाठकों के मन में इस शिक्षा प्रणाली की सुगमता स्पष्ट हो गई होगी। इस दूसरे भाग से पाठकों की योग्यता बहुत बढ़ेगी। इस भाग का सही अभ्यास करने से पाठक न केवल संस्कृत में अच्छी तरह बातचीत करने में समर्थ होंगे, अपितु वे रामायण, महाभारत तथा नाटक आदि संस्कृत ग्रन्थो के सुगम अध्यायों को स्वयं पढ़ भी सकेंगे। प्रथम भाग में शब्दों की सात विभक्तियों का उल्लेख किया हुआ है। परन्तु उस में केवल एक ही वचन के रूप दिए गए हैं। अब इस पुस्तक में तीनों वचनं के रूप दिए जा रहे हैं। संस्कृत में तीन वचन हैं-1. एकवचन 2. द्विवचन तथा 3. बहुवचन। हिन्द भाषा में केवल दो वचन हैं-1. एकवचन तथा 2. बहुवचन। एकवचन से एक की संख्या का बोध होता है जैसे-एकः आम्रः (एक आम) द्विवचन से दो की संख्या का बोध होता है, जैसे-द्वौ आम्रौ (दो आम)। बहुवचन से तीन या तीन से अधिक की संख्या का बोध होता है, जैसे-त्रयः आम्राः (तीन आम), पञ्च आम्राः (पांच आम), दश आम्राः (दस आम)। हिन्दी भाषा में दो की संख्या बतानेवाला कोई वचन नहीं, परन्तु संस्कृत में दो की संख्या बतानेवाला 'द्विवचन' है। संस्कृत में दो की संख्या के लिए द्विवचन का ही प्रयोग करना आवश्यक है। अब सातों विभक्तियों, तीनों वचनों में, शब्दों के रूप यहाँ दे रहे हैं। अकारान्त पुल्लिंग 'देव' शब्द के रूप एकवचन द्विवचन बहुवचन 1. देवः देवाः (*) 2. देवम् देवौ(+) 3. देवेन देवाभ्याम् देवाभ्याम् (+) देवेभ्यः (=) 5. देवात् देवाभ्याम् (+) देवेभ्यः (=) देवौ(+) देवान् देवैः 4. देवाय
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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