SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ b. बट 5. पञ्च (पाँच) 17. सप्तदश (सत्रह) 6. षट् (छः) 18. अष्टादश (अठारह) 7. सप्त (सात) 19. एकोनविंशतिः (उन्नीस) 8. अष्ट (आठ) 20. विंशतिः (बीस) 9. नव (नौ) 21. एकविंशतिः (इक्कीस) 10. दश (दस) 22. द्वाविंशतिः (बाईस) 11. एकादश (ग्यारह) 29. एकोनत्रिंशत् (उनत्तीस) 12. द्वादश (बारह) 30. त्रिंशत् (तीस) 13. त्रयोदश (तेरह) 31. एकत्रिंशत् (इकत्तीस) 14. चतुर्दश (चौदह) 40. चत्वारिंशत् (चालीस) 15. पञ्चदश (पन्द्रह) 50. पञ्चाशत् (पचास) 16. षोडश (सोलह) 60. षष्टिः (साठ) बारह महीनों के नाम (पुल्लिंग) 1. चैत्रः 2. वैशाखः 3. ज्येष्ठः 4. आषाढ 5. श्रावणः 6. भाद्रपदः 7. आश्विनः 8. कार्तिकः 9. मार्गशीर्षः 10. पौषः 11. माघः 12. फाल्गुनः । तिथियों के नाम (स्त्रीलिंग) 1. प्रतिपदा 2. द्वितीया 3. तृतीया 4. चतुर्थी 5. पंचमी 6. षष्ठी 7. सप्तमी 8. अष्टमी 9. नवमी 10. दशमी 11. एकादशी 12. द्वादशी 13. त्रयोदशी 14. चतुर्दशी 15. पूर्णिमा 30. अमावस्या। पक्षों के नाम (पुल्लिंग) शुक्ल-पक्ष-चाँदनी पाख, जिन पन्द्रह दिनों में शाम के समय चाँद होता है। कृष्ण-पक्ष-अंधेरा पाख, दूसरे पन्द्रह दिन, जिन दिनों में शाम के समय चाँद नहीं होता। पाठ 43 इस पाठ में एक ब्राह्मण की कथा दी गई है। इसके कठिन शब्दों का अर्थ पाठ के अन्त में दिया है। 1. कस्मिंश्चिद् ग्रामे यज्ञप्रियनामकः एकः ब्राह्मणः प्रतिवसति स्म-किसी गाँव में ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy