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अध्यात्म योग (११) कर्म मोह का हेतु बनता है और मोह कर्म का हेतु बनता है। इनमें हेतु-हेतुमद्भाव संबंध है। अतीत का मोह कर्म का हेतु है
और वर्तमान का कर्म भावी मोह का हेतु है। पदार्थ और भाव का संयोजन करने वाला सेतु यही मोह है। मूलतः पदार्थ अलग है और भाव अलग है। मोह इन दोनों को जोड़ देता है।
कर्म मोह का हेतु है, मोह कर्म का हेतु। बनता भाव पदार्थ का, यह संयोजक सेतु॥
अध्यात्म पदावली ११
१० फरवरी २००६