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अध्यात्म योग (३)
जहां अहंकार है, वहां उपाधि ( भावनात्मक रोग) है। क्योंकि इनका आपस में गहरा संबंध है । उपाधि शब्द का एक अर्थ आरोपित या अर्जित विशेषण भी है। चेतना मूलतः निरुपाधिक होती है । निरुपाधिक अवस्था में अहंकार को पनपने का अवकाश ही नहीं रहता । किन्तु जब तक वह मोह के घेरे से मुक्त नहीं होती, निरुपाधिक नहीं बन पाती ।
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अहंकार उपाधि का, अविच्छिन्न संबंध | निरुपाधिक चैतन्य का यह कैसा अनुबंध ।।
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अध्यात्म पदावली ३
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२ फरवरी
२००६
५३
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