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मनोनिरोध (२) मन का निरोध समग्र अभ्युदय का साधन है। योगीपुरुष मनोरोध के सहारे तत्त्व (अपने स्वरूप) के निश्चय तक पहुंच जाते हैं। जो साधक स्व और पर की एकता के स्थान पर भेद विज्ञान की साधना करते हैं वे सबसे पहले मन की चंचलता का निग्रह करते हैं।
एक एव मनोरोधः सर्वाभ्युदयासाधकः । यमेवालम्ब्य संप्राप्ता योगिनस्तत्त्वनिश्चयम्।। पृथक्करोति यो धीरः स्वपरावेकतां गतौ। स चापलं निगृह्णाति पूर्वमेवान्तरात्मनः।।
ज्ञानार्णव २२.१२,१३
२१ नवम्बर २००६
प्र............DE.BF.BP..9.09.-३५१
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