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समाधिप्रत्यय
ध्यान करनेवाला साधक स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाता है। सूक्ष्म जगत् में प्रवेश करने पर समाधि के अतिशय अथवा चमत्कार प्रस्फुटित होते हैं। एकाग्रता की सघन स्थिति में कभी रंगों की प्रतीति होती है, कभी प्रकाश की, कभी दिव्य आत्मा की और कभी-कभी मंगल के प्रतीक बने हुए पदार्थों की। ___ अहंकार और ममकार का त्याग तथा इन्द्रिय और मन का निग्रह जितना सुदृढ़ होता है उतना ही समाधि प्रत्ययों का अनुभव होने लगता है।
यथा यथा समाध्याता लप्स्यते स्वात्मनि स्थितिम्। समाधिप्रत्ययाश्चाऽस्य स्फुटिष्यन्ति तथा तथा।।
तत्त्वानुशासन १७६
१२ अगस्त २००६