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लोक-संस्थान अनुप्रेक्षा
यह लोक विविधताओं की रंगभूमि है। उसमें अनेक संस्थान और अनेक परिणमन हैं। उन सबमें एकत्व या समत्व की अनुभूति कर घृणा, अभिमान और हीन भावना पर विजय पायी जा सकती है। समत्व की साधना के लिए इस अनुप्रेक्षा के अभ्यास का बहुत महत्त्व है ।
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१४ जून २००६
१६१ २२
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