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कषाय-विजय (२) भंते! मान-विजय से जीव क्या प्राप्त करता है?
मान-विजय से जीव मृदुता को उत्पन्न करता है। वह मान-वेदनीय कर्म-बंधन नहीं करता और पूर्व-बद्ध तन्निमित्तक कर्म को क्षीण करता है।
माणविजएणं भंते! जीवे किं जणयइ?
माणविजएणं मद्दवं जणयइ, माणवेयणिज्जं कम्मं न बंधइ, पुव्वबद्धं च निज्जरेइ।।
उत्तरज्झयणाणि २६.६६
२७ मई २००६
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