________________
कषाय - विजय (1)
भंते! क्रोध - विजय से जीव क्या प्राप्त करता है ?
क्रोध - विजय से जीव क्षमा को उत्पन्न करता है। वह क्रोध- वेदनीय कर्म-बंधन नहीं करता और पूर्व - बद्ध तन्निमित्तक कर्म को क्षीण करता है
कोहविजएणं भंते! जीवे किं जणयइ ?
कोहविजएणं खंतिं जणयइ, कोहवेयणिज्जं कम्मं न बंधइ, पुव्वबद्धं च निज्जरेइ ||
DGDG
२६ मई
२००६
उत्तरज्झयणाणि २६.६८
JL 962 Q QQQQQQ