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प्राणायाम : मुक्ति की साधना में अनुपयोगी
आचार्य हेमचन्द्र ने मुक्ति के संदर्भ में चिंतन किया। उसके लिए उन्हें प्राणायाम सहायक नहीं लगा । मुक्ति की साधना के लिए शान्त चित्त की अपेक्षा है । प्राणायाम से चित्त श्रान्त और क्लान्त होता है। इसलिए वह मुक्ति की साधना में बाधक बन जाता है।
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पूरणे कुम्भने चैव, रेचने च परिश्रमः । चित्त-संक्लेश करणात्, मुक्तेः प्रत्यूहकारणम् । योगशास्त्र ६.५
१३ मई
२००६
१५६००
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