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ब्रह्मचर्य महाव्रत
ब्रह्मचर्य महाव्रत में मैथुन का विरमण किया जाता है। ब्रह्मचर्य महाव्रत की आराधना के लिए उपस्थित मुमुक्षु सर्व मैथुन से विरति करता है।
वह देव संबंधी, मनुष्य संबंधी अथवा तिर्यंच संबंधी मैथुन का सेवन नहीं करता, दूसरों से मैथुन सेवन नहीं करवाता और मैथुन सेवन करने वालों का अनुमोदन भी नहीं करता ।
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चउत्थे भंते! महव्वए मेहुणाओ वेरमणं ।
सव्वं भंते! मेहुणं पच्चक्खामि - से दिव्वं वा माणुसं वा तिरिक्खजोणियं वा, नेव सयं मेहुणं सेवेज्जा नेवन्नेहिं मेहुणं सेवावेज्जा मेहुणं सेवंते वि अन्ने न समणुजाणेज्जा ।
दसवे आलियं ४.१४
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२५ अप्रैल
२००६
१३८000