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सामायिक व्रत
सामायिक का अर्थ है सावद्य योग से विरत होना तथा निरवद्य योग में प्रवृत्त होना। इसके पांच अतिचार हैं
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१. मन दुष्प्रणिधान -मन की असत् प्रवृत्ति । २. वचन दुष्प्रणिधान - वचन की असत् प्रवृत्ति । ३. काय दुष्प्रणिधान - काय की असत् प्रवृत्ति । ४. सामायिक की विस्मृति ।
५. नियत समय से पहले सामायिक की समाप्ति ।
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१८ अप्रैल
२००६
१३१
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