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________________ ६० वाक्यरचना बोध रोचते। तस्य हक्कारं श्रुत्वा सोऽत्र आगमत् । गद्गदेन स स्वदुःखं तस्मै अकथयत् । रंभणं श्रुत्वा गोपालः प्रसन्नो जातः । मोहनस्य लल्लरोऽपि मात्रे रोचते । इयं भीरिता कुतः याति । भूपस्य आख्यानीं श्रुत्वा स प्रसन्नोऽभूत् । मोहनः चत्रेण पानीयं गृहात् बहिः निस्सारयति । वत्सराजः अजितेन गृहं प्रमार्जयति । क्रियते कटः स्वयमेव । भिद्यते कुसूलः (अन्नकोष्ठ) स्वयमेव । सिध्यते ओदनः स्वयमेव । मातुलः कस्मिन् दिने राजमार्ग अञ्चिष्यति । सः हूच्छति । लक्ष्मणे मृत्यु गते रामः मुमूर्छ । वायुना वृक्षं एजति । संस्कृत में अनुवाद करो गधे की आवाज कर्कश होती है। उसके गले की आवाज मधुर है । उसके कानों में गहने की आवाज आई। गाड़ी की आवाज सुनकर वह जाग गया । वह घुर्राटे लेता है। बार-बार पाठ को घोकने से (दुहराने से) वह याद हो जाता है। चिडियों का चहचहाना अच्छा नहीं है। जंगल में हाथी चिंघाड़ रहा था। वह क्यों चिल्ला रहा था? बच्चों की तुतली आवाज सभी को प्रिय लगती है । वह दीनता के शब्द क्यों कर रहा था ? उसकी धीमी आवाज भी सुन्दर थी। नाक से बोलना अच्छा नहीं है । गुरुओं के प्रति निंदा के शब्द मत सुनो। फिजूल मत बोलो । सुरेन्द्र किस देव की पूजा करता है ? दादी क्यों मूच्छित हुई ? कुटिलता मत करो? गाय क्यों कांपती है । अभ्यास (१) स्वतंत्रकर्ता, प्रेरककर्ता और कर्मकर्ता के दो-दो वाक्य बनाओ। (२) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करो परुषा मधुरं न भवति । आम्रडितः श्रुत्वाऽपि चर्चरी शृणेति । प्रति बन्यां कस्य वृहितोऽस्ति । बालकस्य घोषितः वायुना प्रसरति । (३) प्रथमा विभक्ति कहां होती है ? (४) एज धातु के बादि के रूप लियो । (५) निम्नलिखित शब्दों के संस्कृत रूप लिखो। गधे की आवाज, चमडे की आवाज, धीमी आवाज, निंदा के शब्द, फिजूल बोलना, तुतली आवाज, गाडी की आवाज, गहने की आवाज, गाय की आवाज, विरह की आवाज, संदेश के शब्द । (६) धेनु, वधू, स्वस और मातृ शब्दों के रूप लिखो। (७) अर्ह और तर्ज धातु के रूप लिखो।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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