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________________ पाठ ६० : नामधातु शब्दसंग्रह अगुरु (अगर)। आकरकरहा (पुं) अकरकरा। अर्कः (आक) । अभ्रक, अमलम् (अभ्रक)। यवनिका, दीप्यः (अजवायन) । अमरवल्ली, दुस्पर्शा (अमरबेल)। आरावध: (अमलतास) । अश्वगन्धा (असगंध) । ईषद्गोलम् (इसबगोल)। कंपिल्लः, कर्कशः (कमीला वृक्ष)। गंधक: (गंधक) । खसबीजम्, सुबीजः (खसखस)। गुडूची, कुंडलिनी (गिलोय) । गुग्गुलः (गुग्गुल) । गोरक्षकः (गोखरू)। नामधातु (नियम) धातु से कृदन्त के प्रत्यय लगाकर शब्द या नाम बनाया जाता है। वैसे ही नाम से प्रत्यय लगाकर धातु बनाई जाती है, उसे नामधातु कहते हैं। नाम से धातु बनाने के लिए अनेक प्रत्यय लगते हैं। नियम ५२६-(द्वितीयायाः काम्य: ४।१।१७) द्वितीयान्त नाम कर्मरूप में हो तो उससे इच्छा के अर्थ में काम्य प्रत्यय होता है। पुत्रं इच्छति -- पुत्रकाम्यति । स्व:काम्यति । नियम ५३०-(अमाव्ययात् क्यच्च ४।१।१८) अमकारान्त अव्ययरहित नाम कर्म रूप में हो तो इच्छा के अर्थ में क्यच और काम्य प्रत्यय होता है। (क्यचि ४।१।६१) इस सूत्र से क्यच् प्रत्यय परे होने पर अवर्ण को ईकार हो जाता है । पुत्र इच्छति =पुत्रीयति । एवं नाव्यति। .. नियम ५३१- (असुक् च लौल्ये ४।१।६३) लौल्ये (लोलुपता के अर्थ में) नाम से क्यच् प्रत्यय होने पर असुक् और सुक् का आगम होता है। दधि भक्षितुं इच्छति = दध्यस्यति, दधिस्यति । मध्वस्यति, मधुस्यति । नियम ५३२-(आधाराच्चोपमानादाचारे ४।१।१६) अमकारान्त और अव्यय रहित शब्द उपमानवाची द्वितीयान्त और सप्तम्यन्त हो तो आचरण करने के अर्थ में क्यच् प्रत्यय होता है। पुत्रमिव आचरति-पुत्रीयति छात्रम् । (छात्र को पुत्र की तरह मानता है)। वस्त्रीयति कम्बलम् । प्रासादे इव आचरति = प्रासादीयति कुट्याम् । पर्यकीयति मञ्चके। नियम ५३३-(कर्तुः क्विब् गल्भक्लीबहोडात्तु ङित् ४।१।२०) कर्तावाची शब्द की उपमा दी जाए उन शब्दों से आचार अर्थ में क्विप् प्रत्यय होता है । गल्भ, क्लीब और होड शब्दों से डित्क्विप् (आत्मनेपद) होता है ।।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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