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________________ यङ्लुगन्त २०७ नियम ५२८ - ( जनसनखनामा: ४ | १३ | ४६ ) जन्, सन्, खन् इनके अंत को आ आदेश हो जाता है, ह और झस आदिवाला क्ङित् प्रत्यय आगे हो तो । जन् -- जंजाहि । सन् - षणुनव् दाने, वन् पन् संभक्ती वा संसाहि । खन्—चंखाहि । प्रयोगवाक्य मानवः सुखं वावञ्छति, दुःखं न । वीरेन्द्रः पद्यानि स्मरीति । माता बहिर्गतं पुत्रं स्मर्त । कनकमाला विदेशं वाव्रजीति । सीमा पाठ पापठीति । साध्व्यः प्रेक्षागीतं जागन्ति । बालकाः चेक्रीडन्ति । गुरुः शिष्यं पठितुं जागदीति लालपीति वा । शिष्यः दुग्धं पापेति । वणिक् धनमर्जितुं विदेशं जागमीति । मनोहर: नवीनानि वस्त्राणि दादधीति दादद्धि वा । मनोरमः एतद् कार्यं चर्कति, चरिकर्ति, चरीकर्ति वा । संस्कृत में अनुवाद करो ( यङ्लुगन्त के प्रयोग करो) वर्षा बार-बार होती है । बालक बार-बार पानी पीता है । सुरेन्द्र बार-बार फूल सूंघता है । कमला बार-बार यहां बैठती है । राजा बार-बार शत्रुओं को जीतता है । बहिन भाई को बार-बार याद करती है । नाविक नौका से नदी को बार-बार पार करता है। मुनि प्रभु का बार-बार चिंतन करते हैं । स्त्रियां यह गीत बार-बार गाती हैं। माता पुत्र का बार-बार शोक करती है । मुनि लोच बार-बार करते हैं । बालक मिष्टान्न बार-बार चाहता है । मोहन बहिन के घर बार-बार जाता है। छात्र यह पुस्तक बार-बार पढता है । लडकी बार-बार खेलती है । आचार्यश्री संतों को यह बात बारबार कहते हैं । पिताजी बार-बार नहीं खाते। राजा ने कहा -- मुझे यह बात बार-बार कहो । अभ्यास १. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो - स्मति, जेजेति, जागाति, तातति, जाघ्राति, तात्यक्ति । २. हिंदी में अनुवाद करो तस्य उदरे पीडा कथं बोभवीति ? पिपासितः नीरं पापेति । शिष्यः गुरुं स्मरीति । शिशुः मातुः पार्श्वे वाव्रजीति । तातः हिताय पुत्रं जागदीति । निषिद्धेपि सः एतद् कार्यं चर्केति । बालकः धूल्यां चेक्रीडीति । - ३. निम्नलिखित धातुओं के यङ्लुगन्त के रूप बताओ । ध्यै त्यज्, धा, बाछि, गें ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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