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________________ २०० वाक्यरचना बोध (उ) अहं साम्प्रतं स्वाध्यायं चिकीर्षुरस्मि । (अ) साम्प्रतं मम स्वाध्यायचिकीर्षा वर्तते । प्रथम वाक्य में अहं कर्ता और अस्मि क्रिया है। द्वितीय वाक्य में अहं में षष्ठी विभक्ति होने से अहं कर्ता नहीं रहा, चिकीर्षा कर्ता है। दोनों वाक्यों का भाव एक है, कहने का प्रकार भिन्न है। प्रशंसा, गोपाया, मीमांसा, कंड्या, लोलूया, पुत्रकाम्या, नवा, गल्भा, पटपटाया ये अ प्रत्यय के रूप हैं। प्रयोगवाक्य छात्राः गृहं जिगमिषवः सन्ति । शिष्याः व्याकरणं पिपठिषवः सन्ति । श्रेष्ठी धनं लिप्सुरस्ति । ललितः प्रश्नं पिपृच्छिषुरस्ति । भूपः शत्रून् जिगीषुरस्ति । शिशवः नाट्यं दिदृक्षवः सन्ति । सुशीलः फलानि बुभुक्षुरस्ति । अहं गुरोः वचनं शुश्रूषुरस्मि । मम ध्यानस्य चिकीर्षा वर्तते। तातस्य पुत्रस्य निनीषा विद्यते । श्रमिकस्य धनस्य लिप्सा अस्ति । रोगिनः भोजनस्य जिघत्सा वर्तते। संस्कृत में अनुवाद करो ललित अपने गांव जाने का इच्छुक है। मोहन संस्कृत पढने का इच्छुक है । सोहन किसी को कुछ भी देने का इच्छुक नहीं है। योगक्षेमवर्ष में साधु और साध्वियां अप्राप्त को प्राप्त करने के इच्छुक हैं । विद्यार्थी शिक्षक से प्रश्न पूछने का इच्छुक है । विमला नये वस्त्र धारण करने की इच्छुक है । चंदन सिनेमा देखने का इच्छुक नहीं है। मुनि कर्मशत्रुओं को जीतने के इच्छुक हैं । बालक लड्डू खाने का इच्छुक है। मोहन ज्ञान ग्रहण करने का इच्छुक है । उसकी क्या करने की इच्छा है ? सुमंगला की संसार समुद्र को तैरने की इच्छा है। सुनील की साधु बनने की इच्छा है । चोर की सेठ का धन हरने की इच्छा है । श्रावकों की प्रवचन सुनने की इच्छा है। युवक तत्व जानने के इच्छुक हैं। साधु संसार समुद्र को तैरने के इच्छुक हैं । राजा दुष्ट को मारने का इच्छुक है। वैज्ञानिकों की गूढ रहस्यों को जानने की इच्छा है। जिनेश की वस्त्र धारण करने की इच्छा है। अभ्यास १. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो चिकीर्षा, तितीर्षा, विवक्षा, जिघृक्षुः, जिगीषुः, विवत्सुः ।। २. अ प्रत्यय करने वाला कौनसा सूत्र है ? ३. उ प्रत्यय के योग में कौनसी विभक्ति होती है ? ४ नीचे लिखे शब्द किन प्रत्ययों के हैं ? प्रशंसा, जिहीर्षुः, मीमांसा, भिक्षुः, पुत्रकाम्या, आशंसुः, कण्डूया, चिकीर्षुः, जिघत्सा।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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