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________________ पाठ ५७ : सन्नन्त २ (उ, अ प्रत्यय) शब्दसंग्रह जिगमिषुः (जाने का इच्छुक) । पिपठिषुः (पढने का इच्छुक) । दित्सुः (देने का इच्छुक) । लिप्सुः (प्राप्त करने का इच्छुक) । पिपृच्छिषुः (पूछने का इच्छुक) । दिधरिषुः (धारण करने का इच्छुक) । दिदृक्षुः (देखने का इच्छुक) । जिगीषुः (जीतने का इच्छुक) । बुभुक्षुः (खाने का इच्छुक)। शुश्रूषुः (सुनने का इच्छुक)। बुभुत्सुः (जानने का इच्छुक)। चिकीर्षुः (करने का इच्छुक) । जिज्ञासुः (जानने का इच्छुक)। विवक्षुः (बोलने का इच्छुक) । तितीर्घः (तैरने का इच्छुक)। जिघांसुः (मारने का इच्छुक) । तितीर्षा ( (तैरने की इच्छा) । चिकीर्षा (करने की इच्छा)। बुभूषा (होने की इच्छा) । विवक्षा (बोलने की इच्छा) । शुश्रूषा (सुनने की इच्छा) । पिपासा (पीने की इच्छा) । लिप्सा (पाने की इच्छा) । जिघत्सा (खाने की इच्छा) । जिज्ञासा (जानने की इच्छा) । धित्सा (धारण करने की इच्छा) । उ और अप्रत्यय जैसे गण की धातु से प्रत्यय होते हैं वैसे सन्नन्त धातु से भी कई प्रत्यय होते हैं। (सन्नाशंसिभिक्षिभ्यः उ: ५।३।४१) सूत्र से शीलादि अर्थ में सन्नन्त धातु से 'उ' प्रत्यय होता है। यह प्रत्यय कर्ता में होता है इसलिए इसके कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है। 'उ' प्रत्ययान्त शब्द त्रिलिंगी होते चिकीर्षति इत्येवं शील: चिकीर्षुः। इसका अर्थ होता है करने की इच्छा करने वाला । अहं साम्प्रतं स्वाध्यायं चिकीर्षुरस्मि—मैं अभी स्वाध्याय करने का इच्छुक हूं। इयं धर्म बुभुत्सुः शास्त्रं पठति—यह धर्म को जानने की इच्छुक (स्त्री) शास्त्र पढती है। यहां धर्म 'उ' प्रत्ययान्त बुभुत्सु का कर्म है, शास्त्रं पठति क्रिया का कर्म है । तुम् प्रत्यय के आगे इच्छा शब्द लगाने से जो अर्थ होता है उसी अर्थ में (शंसि प्रत्ययात् ५।४।१०१) इस सूत्र से 'अ' प्रत्यय होता है । यह स्त्रीलिंग वृत्ति में ही प्रयोग में आता है। कर्तुमिच्छा --चिकीर्षा। ज्ञातुं इच्छा = जिज्ञासा । गन्तुं इच्छा -जिगमिषा । 'अ' प्रत्यय के योग में कर्ता और कर्म में षष्ठी विभक्ति होती है। अस्य तत्वजिज्ञासा अस्ति । साम्प्रतं मम स्वाध्यायचिकीर्षा वर्तते । उ और अ प्रत्यय के वाक्यों को ध्यान से पढ़ें
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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