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________________ '१६० वाक्यरचना बोध प्रयोगवाक्य विदलयति कुबोधं बोधयत्यागमार्थं, सुगतिकुगतिमागौं पुण्यपापे व्यनक्ति । अवगमयति कृत्याकृत्यभेदं गुरुयो, भवजलनिधिपोतस्तं विना नास्ति कश्चित् ॥ भगिनी भ्रातरं स्वगृहे स्थापयति । दासः स्वामिना वार्ता स्मारयति । तात: पुत्रेण भृत्यकर्म त्याजयति । तात: पुत्रेण पत्रं लेखयति । गुरुः शिष्यं पाठं पाठयति । स्वामी कर्मकरेण आम्रवृक्षं आरोहयेत् । नाविकः यात्रिभिः नदी उत्तारयतु । माता पुत्रेण चन्द्रं दर्शयिष्यति । गृहपत्नी मेखला मंजूषायां अस्थापयत् । मोहनः भृत्येन भारं नाययति । माता पुत्रेण क्षीरं आदयति । तातः पुत्रं फलं भोजयति । सुरेशः रमेशं टमकोरं गमयति । रमा सीतया सुशीलां ह्वाययति । आचार्यः शिष्यं मन्त्रं जल्पयति । आचार्य हेमचन्द्रः शिष्यं धर्म बोधयति । स्वयंसेवकः बालकं आसयति । तातेन पुत्रेण भृत्यकर्म त्याज्यते । आचार्येण शिष्येण वार्ता स्मार्यते । संस्कृत में अनुवाद करो (मिन्नन्त का प्रयोग करो) नरेश सुमति से पात्र जुडवाता है। आचार्यश्री जनता को संतों से भजन सुनवाते हैं । अध्यापक बिद्यार्थी से भाषण बोलने की चेष्टा करवाता है। मंथरा ने कैकयी से दशरथ को दिये गये वचन की याद करवाई। किसान मजदूर से खेतों में गेहूं उगवाता है। सेना राजा को शत्रुओं से जीताती है। राजा सेना से नगर की रक्षा करवाता है। नरेन्द्र दुर्जन से सेठ को ठगवाता है । नाविक नौका से यात्रियों को पार करवाता है। वैद्य माता से बच्चे को लंघन करवाता है । धर्मेश उदित से केश-लुंचन करवाता है। सास बहू से पत्र लिखवाती है। मोहन सोहन से काम करवाता है। दुर्जन नौकर से धन चुरवाता है। गुरु शिष्यों से आगम पढवाता है। पिता पुत्र से नये घर में प्रवेश करवाता है । बहन दासी से भाई को सुलवाती है । सुरेन्द्र मित्र को अपने घर में बुलवाता है। अभ्यास १. संस्कृत में अनुवाद करो' शीर्षक में जितने वाक्य हैं उनके तिबादि के __ स्थान पर यादादि की क्रिया लगा कर वाक्य बनाओ। २. ऊपर के वाक्यों को भाव कर्म में परिवर्तित करो। ३ जिन्नन्त से भावकर्म के रूप बनाने का सरल तरीका क्या है ? ४. द्विकर्मक धातुओं में किन धातुओं के योग में प्रधानकर्म में प्रत्यय होता ५. कौन सी जिन्नन्त धातुओं के योग में प्रधानकर्म में प्रत्यय होता है ?
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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