SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 183
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाठ: ४८ तद्धित ११ (संख्या) शब्दसंग्रह पत्रालयाधीशः (जनरल पोस्ट मास्टर ) । पत्रालयः (पोस्ट आफिस ) । पत्रालयाध्यक्ष : ( पोस्ट मास्टर ) । प्रधानपत्रालयः ( बडा डाकखाना) । पत्रविभागः ( डाक का महकमा ) । पत्राधि: ( लेटरबक्स ) । पत्रम् ( खत, पत्र ) | आवेष्टनम् ( लिफाफा ) | धनादेश : ( मनीआर्डर ) । पार्शल: ( पार्सल) । पंजिका, निवेशनम् (रजिस्ट्री ) । रक्षापण: (बीमा ) । पत्रवाहक : ( चिट्ठी ले जाने वाला, डाकिया) । त्वरितसूचनालय: ( तारघर ) । त्वरितसूत्रम् (तार) । वृनत् से लेकर आप्लूंत् धातु के दिबादि तक के रूप चिन्त् की तरह चलते हैं । शेष धातु रूप परिशिष्ट ( संख्या १०४ से १०६) में देखें । धूनत्, तृपत् के रूप प्रायः चि की तरह चलते हैं । संख्या संख्यावाची शब्दों से एकवचन, द्विवचन और बहुवचन का बोध होता है । तीन से लेकर आगे सब बहुवचन हैं । संख्यावाची शब्दों से पूरण अर्थ का प्रत्यय लगने से वह शब्द निश्चित एक संख्या का बोधक हो जाता है । जैसे११ पुस्तक इससे ११ पुस्तकों का ज्ञान होता है । पूरण प्रत्यय लगने से वह ११ वीं पुस्तक ( यानि एक १९ वीं पुस्तक) का बोध होगा शेष १० का ४ संख्या संख्यावाची शब्दों से एकवचन, द्विवचन और बहुवचन का बोध होता है । तीन से लेकर आगे सब बहुवचन हैं । संख्यावाची शब्दों से पूरण अर्थ का प्रत्यय लगने से वह शब्द निश्चित एक संख्या का बोधक हो जाता है । जैसे - ११ पुस्तक इससे ११ पुस्तकों का ज्ञान होता है । पूरण प्रत्यय लगने से वह ११ वीं पुस्तक ( यानि एक १९ वीं पुस्तक) का बोध होगा शेष १० का नहीं । १५ वां व्यक्ति यहां आओ । यह सुनकर १ ही व्यक्ति आएगा । संख्या - नियम नियम ४२६ - ( संख्या पूरणे डट् ७।४।४८ ) संख्यावाची शब्द से संख्यापूर्ति के अर्थ में डट् प्रत्यय होता है । डट् में अ शेष रहता है और शब्द
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy