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________________ तद्धित ६ (शेषाधिकार २) १५१ षिकः, प्रादोषः । नियम ३०३-(सायं-चिरं-प्राह णे-प्रगेऽव्ययेभ्यस्तनट ६।४।६०) कालवाची इन अव्ययों से, कालवाची और अव्ययों से भी शेष अर्थ में तनद प्रत्यय होता हैं। सायंतनं, चिरंतनं, प्राह णेतन, प्रगेतनं, दिवातनं, दोषातनं प्रातस्तनं, प्राक्तनम् । प्रयोगवाक्य ___ष्मं औष्ण्यं सर्वान् पीडयति । माथुरोऽयं पुरुषः भद्रोऽस्ति। वयं सर्वे भारतीयाः स्मः । दन्त्यां कयां ओष्ठ्यां मूर्धन्याञ्च पीडामपनेतुं जनाः चिकित्सकस्य पावें गच्छन्ति । ग्रीष्मतौं दिवसस्य माध्यमतापः तीव्रतरो भवति । चान्दनबाले ग्रन्थे अनेकाः घटनाः शिक्षाप्रदा सन्ति । सिद्धसेनीयः स्तवः पठनीयोस्ति । भैक्षवं गणं नन्दनवनतुल्यं चकास्ति । रवीन्द्रः प्रतिदिनं जिनं स्तौति स्तुते वा। द्रौपदी जिनं अस्तावीत् अस्तोष्ट वा। अहं जिनं स्तोष्यामि स्तोष्ये वा । मोहनः त्वां किमवोचत् अब्रूत वा। कटु मा ब्रूहि ब्रूष्व वा । अजितः किं वक्ष्यते वक्ष्यति वा । सा मां द्वेष्टि द्विष्टे व।। स: तं अद्विक्षत् अद्विक्षत वा । मा द्विड्ढि । संस्कृत में अनुवाद करो शत्रुसेना किले की दीवार तोडने का प्रयास कर रही है। सेना नगर के चारों ओर घेरा डाली हुई है। अशोक ने कलिंग पर क्यों चढाई की ? दुर्जनता पर सज्जनता का विजय-झंडा सदा लहरायेगा। सेना के लिए परेड करने का मैदान सुरक्षित रहता है। रात में पहरेदार पहरा दे रहा था। दुर्जन लोग फूट डलवाने का कार्य करते हैं। त्रिपृष्ठ वासुदेव ने सिंह के साथ बिना हथियारों का युद्ध किया। लडकों को भगाना डाकुओं के लिए सहज कार्य है। लडके और लडकी का घर से भागना अच्छा कार्य नहीं है। सेना मोर्चे पर डटी हुई है । राणाप्रताप ने प्राणान्त तक अकबर से सुलह नहीं की। तद्धित के प्रत्ययों का प्रयोग करो रात में अन्धकार होता है। प्रदोष वेला में होने वाला कार्य बताओ। प्रातः होने वाला भ्रमण स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। पोष में होने वाली शीतल हवा किसे सुहाती है ? यह फल मथुरा में उत्पन्न हुआ है। आंख, कान और नाक में होने वाली पीडा असह्य होती है। पूर्वदिशा में होने वाली लालिमा सबको अच्छी लगती है। मतु अर्थ में होने वाले कौन से प्रत्यय हैं ? गंगा हिमालय से उत्पन्न होती है। यह ग्रन्थ भरत को लेकर बनाया गया है। महात्मा गांधी भारत में उत्पन्न हुए थे। यह ग्रन्थ आचार्य तुलसी द्वारा कृत है । यह संघ आचार्य भिक्षु का है ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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