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________________ सद्धित (४) कियन्तः पार्षदाः सन्ति ? आयुर्वेदिकोपि न आयुर्वेदिकः । मात्रीयो रामः कथं क्षुधां सहते ? कर्ण्य यंत्रं क्व उपलभते ? चत्वरे अजथ्यस्य उपलब्धिः भविष्यति । केशचञ्चुः लोकेशः अद्य भाषणं दास्यति । रक्ताङ्गशाकटं कि क्या कदापि दृष्टम् ? नैमित्तिकः भवन्तं किमवोचत् ? यः चाचिकः स चर्चा कर्तुं व्रजेत् । गुरोः पार्वे महेन्द्रः किं अध्येष्यते ? प्रातः सुरेन्द्रः किं अध्येत ? श्यामा सूतं असूत । बाल: रजन्यां कुत्र अशेत ? संस्कृत में अनुवाद करो रमेश आंगन में क्यों बैठा है ? साधु राख से केश लुंचन करते हैं। दीया कब तक जलेगा ? ताले की कुंजी कहां है ? इस मकान में बहुत आले हैं। छींके से लड्डू किसने लिये हैं ? लालटेन में तैल नहीं है । तुम्हारे घर में कितने मांचे और खाट हैं ? राजस्थानी लोग चावल, गेहूं और चना खाते हैं। पंजाब के लोग सरसों का साग खाते हैं । मेवाड के लोग उडद की दाल खाते हैं । घोडे को जौ प्रिय है । क्या तुम्हें मसूर की दाल पसन्द है ? पानी को उबालने से दूषित कीटाणु नष्ट हो जाते हैं । गेहूं को कूटना और आटे को गूंधना भी एक कला है । उडद की दाल में से सरसों को छांटना सहज नहीं है । पानी को छालना (छानना) सद्गृहस्थ का कर्तव्य है। तद्धित के प्रत्ययों का प्रयोग करो इसमें कौन सा वस्त्र लाक्षा से रंगा हुआ है ? कषाय से क्या रंगा जाता है ? हरिद्रा से रंगा हुआ वस्त्र बहुत जल्दी साफ हो जाता है। वह ज्योतिष में विश्रुत है । मुनि राजकर्ण चर्चा में विश्रुत है । यह भोजन साधु के लिए हितकर है। विद्यासागर गणित विद्या में प्रसिद्ध है। कण्ठ के लिए हितकर हो वह पेय पीओ। शरण में आए हुए का वह उपकारक है। सभा में वह प्रवीण है । व्यवहार में वह प्रवीण है । गुण के योग्य व्यक्ति को क्या कहते हैं ? निमित्त का ज्ञाता आज कौन है ? धातु का प्रयोग करो तुमने संस्कृत किसके पास पढी ? आलसी क्या पढेगा ? रमेश कहां सोयेगा ? सीमा के पुत्र उत्पन्न हुआ है। दर्शनार्थी सुधर्मा सभा में सोते हैं। सुशीला के एक भी पुत्र पैदा नहीं हुआ है । अभ्यास १. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग करो और बताओ किस नियम से इनमें प्रत्यय हुआ है ? वैष्णवः, उषष्यं, शैवः, आग्नेयः, आयुर्वेदिकः, गाणितिकः, वैयाकरणः, मौहूर्तिकः, कौसुम्भं, पीतकं, वार्षिकः, कर्मण्यः, पार्षद्यः, वार्तिकः, करभीयः, शून्यः, ओप्ठ्यम् ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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