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________________ तद्धित ( ३ ) मयट् प्रत्यय होता है । गोः पुरीषं गोमयं (गोबर) । नियम २५१ – (सास्य देवता ६।३।६६) देवता के नाम में प्रत्यय होने से वह शब्द उनके अनुयायियों का वाचक होता है । देवता का नाम प्रथमान्त हो तो षष्ठी के अर्थ में अण् प्रत्यय होता है । अर्हत् देवता अस्य आर्हतः - जैनः । आग्नेयः — ब्राह्मणः । शैवः, बौद्धः, वैष्णवः । S १३६ नियम २५२ - ( ऋतुवायुपित्रुषसो यः ६।३।७३ ) ऋतु, वायु, पितृ उषस् शब्दों से देवता अर्थ में य प्रत्यय होता है । ऋतव्यं वायव्यं पित्र्यं, उषष्यम् । प्रयोगवाक्य हतभाग्यानां क्षेत्रे तिलपेजानां बाहुल्यं जायते । अविकटे कः वृद्धत्वं भजते । अविपटं शीतकाले प्रियं लगति । अस्य साधुचरस्य किं नामधेयं विद्यते ? मम पितामहस्य अभिधानं किं त्वं जानासि ? पितामही धार्मिकी आसीत् । मातुलः जुहारमलः व्यापारे पटुः आसीत् । मातुली ततोऽधिका गृहकुशला जाता । गोमयमपि रोगे उपयोगि भवति । कापिलानां किं चिन्हं अस्ति ? आर्हतां किं वैशिष्ट्यं विश्रुतमस्ति ? आत्मानं मृड्ढि । रजकः वस्त्राणि माष्टि । भ्रातृजाया इमानि वस्त्राणि अमार्क्षीत् । आत्मानं विद्धि । प्राणिनः माहि । रामः रावणं जघान । कविः कुत्र अस्ति । पुरा अनेके विद्वांसः बभूवुः । संस्कृत में अनुवाद करो आज यहां कौन सा अफसर आयेगा ? रजिस्ट्रार कहां है ? सुपरिटेन्डेन्ट क्या कह रहे थे ? मेनेजर को बुलाओ । खजाने का बडा अफसर कठोर है | टकसाल के बड़े अफसर का स्वभाव मृदु है । महसूल का बडा अफसर भद्र है । व्यापर का बडा अफसर रिश्वत खाने वाला नहीं है । न्याय के बड़े अफसर का न्याय सबके लिए समान है । डायरेक्टर के बड़े अफसर के बिना यहां कौन व्यवस्था करेगा ? तुमने कब नोटिस दी थी ? पुलिसमेन हर व्यक्ति को सावधान करते हैं । पुलिस इन्स्पेक्टर को सशक्त होना चाहिए । वारिस्टर विदेश कब जायेंगे ? मजिस्ट्रेट अपराधी को दंड देता है । तद्धित के प्रत्ययों का प्रयोग करो. 1 गांव के लोग गोबर से घर का आंगन लीपते हैं । इस खेत में पौधे तिलरहित हैं । ये मेरे भूतपूर्व अध्यापक हैं । पारसियों के देवता अग्नि हैं उन्हें एक शब्द में क्या कह सकते हैं ? गोबर बहुत उपयोगी और पवित्र माना जाता है । मामे का घर दूर है । मेरे दादा दयालु थे । दादी में धार्मिक संस्कार बचपन से थे । वायव्य और पित्र्य में क्या अन्तर है ? जिनके देवता जिन हैं उनका दृष्टिकोण अनाग्रही होना चाहिए । वायु जिनके देव हैं वे कौन हैं ?
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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