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________________ पाठ : ४० तद्धित (३) शब्दसंग्रह अधिकारी (अफसर)। पंजिकाध्यक्षः (रजिस्ट्रार)। परिचालक: (सुपरिटेन्डेट) । संचालकः (मेनेजर) । भीरकः (खजाने का बड़ा अफसर) । नष्किकः (टकसाल का बडा अफसर) । शौल्किकः (महसूल (राजस्व) का बडा अफसर) । अधिकर्मिकः (व्यापार का बडा अफसर)। अधिकर्णिकः (न्याय का बडा अफसर) । व्यवस्थापकः (डाइरेक्टर का बडा अफसर) । बोधनम् (नोटिस, सूचना) । रक्षकपुरुषः (पुलिसमेन) । रक्षकः, परिदर्शकः (पुलिस __नियम २४५– (निष्फले तिलात् पिजपेजौ ६।३।६५) फलरहित अर्थ में तिल शब्द से पिंज और पेज प्रत्यय होते हैं। तिलपिंजः, तिलपेजः (तिल का वह पौधा जो न फले और फूले) । नियम २४६-(अवेःसंघातविस्तारयोः कटपटौ ७।४।२५) अवि शब्द से संघात अर्थ में कट और विस्तार अर्थ में पट प्रत्यय होता है। अविकट: (अविसमहः), अविपट: (ऊनी वस्त्र) । नियम नियम २४५– (निष्फले तिलात् पिजपेजौ ६।३।६५) फलरहित अर्थ में तिल शब्द से पिंज और पेज प्रत्यय होते हैं। तिलपिंजः, तिलपेजः (तिल का वह पौधा जो न फले और फूले)। नियम २४६-(अवेःसंघातविस्तारयोः कटपटौ ७।४।२५) अवि शब्द से संघात अर्थ में कट और विस्तार अर्थ में पट प्रत्यय होता है। अविकटः (अविसमूहः), अविपट: (ऊनी वस्त्र) । नियम २४७-(भूतपूर्वे चरट ८।१।६५) भूतपूर्व के अर्थ में चरट् प्रत्यय होता है। अध्यापकचरः । शिष्यचर: । आढ्यचरः ।। नियम २४८-(पित्रो महट् ६।३।३१) पितृ और मातृ शब्द से पिता और माता अर्थ में डामहट् प्रत्यय होता है। पितुः पिता-पितामहः । - - गिनी। गानः पिता-मातामहः । मातः माता नियम २४६-(पितृमातृभ्या व्यडुला भ्रातार ५।२।२०) 11 . मातृ शब्द से भ्राता के अर्थ में क्रमशः व्य और डुल प्रत्यय होता है। पितुः भ्राता-पितृव्यः । मातुः भ्राता-मातुलः । नियम २५०-(गोः पुरीषे ६॥३॥५२) गो शब्द से पुरीष अर्थ में
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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