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________________ वाक्य रचना बोक अन प्रति यथा सचक्र ख्याति (प्रसिद्धता), इति, अहो (भद्रबाहो: ख्यातिः इतिभद्रबाहु, अहोभद्रबाहु पश्चाद् महावीरस्य पश्चाद् अनुमहावीरं योग्यतायां रूपस्ययोग्यांचेष्टां कुरुते अनुरूपं चेष्टते . वीप्सा दिनं दिन प्रति प्रतिदिनं अनतिक्रम यथा शक्तिमनतिक्रम्य यथाशक्ति असादृश्य ये ये वृद्धाः यथावृद्धं सादृश्य सह (स) श्रुतस्यसादृश्यं सश्रुतमनयोः योगपद्य (एककालता) सह (स) युगपत् चक्राणि । आनुपूर्वी (अनुक्रम) अनु ज्येष्ठस्य अनुक्रमेण अनुज्येष्ठ ( संपत्ति (सिद्धि) सह (स) क्षत्राणां संपत्तिः सक्षत्रं (आत्मभावनिष्पत्तिः). साकल्यं (अशेषता) सह (स) तृणेन सह . सतणं अभि आभिमुख्य अग्निआभिमुख्य अभ्यग्नि प्रति ... आभिमुख्य अग्निं आभिमुख्य प्रत्यग्नि नियम १६६-(पारेमध्येऽग्रेऽन्तः षष्ठ्या वा ३।१।३०) पारे मध्ये, अग्रे, अन्तः इनके साथ समासं करने पर इनकी विभक्ति का लोप नहीं होता, इसलिए ये अव्ययीभाव समास में निपात हैं। जैसे-पारं गंगाया: पारेगडं। गंगायाः मध्ये मध्येगंगं । वनस्य अग्रे अग्रेवनं । गिरेः अन्तर् अन्तगिरि । ___ अव्ययीभाव समास में निम्नलिखित शब्दों से ट (अ) प्रत्यय हो जाता है और ट होने से शब्द अकारान्त बन जाता है नियम १७०- (शरदादेरव्ययीभावात् ८।३।२७) शरद्, त्यद् तद्, यद्, नियम १६९-(पारमध्यऽग्रऽन्तः षष्ठ्या वा ३।१।३०) पार मध्ये, अग्रे, अन्तः इनके साथ समास करने पर इनकी विभक्ति का लोप नहीं होता, इसलिए ये अव्ययीभाव समास में निपात हैं। जैसे-पारं गंगाया: पारेगङ्गं । गंगायाः मध्ये मध्ये गंगं । वनस्य अग्रे अग्रेवनं । गिरेः अन्तर् अन्तगिरि । अव्ययीभाव समास में निम्नलिखित शब्दों से ट (अ) प्रत्यय हो जाता है और ट होने से शब्द अकारान्त बन जाता है नियम १७०- (शरदादेरव्ययीभावात् ८।३।२७) शरद्, त्यद् तद्, यद्, कियत, हिरुक, हिमवत्, उपसद्, सदस्, अदस्, अनस्, मनस्, विपाश, दिश, नियम १७१-(सख्यायानदागादावराभ्याम् दाशर८) पूव शब्द संख्यावाची हो, अन्त में नदी या गोदावरी शब्द हो तो ट प्रत्यय हो जाता है। जैसे—पञ्चनदम्, सप्तनदम्, द्विगोदावरम्, त्रिगोदावरम् ।
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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