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________________ समास (१) अव्ययीभाव को पूर्वपद और अगले पद को उत्तरपद भी कहते हैं । पदों की प्रधानता और अप्रधानता के आधार पर समास के चार भेद होते हैं- . (१) अव्ययीभाव (२) तत्पुरुष (३) बहुव्रीहि (४) द्वन्द्व । अव्ययीभाव जिस समास में पूर्वपद अव्यय हो उसको अव्ययीभाव समास कहते हैं । अव्ययीभाव में नपुंसकलिंग होता है। अव्ययीभाव में उत्तरपद यदि दीर्घ हो तो ह्रस्व हो जाता है। नियम १६५- (अनतो लुक् ३२।५) अव्ययीभाव समास में उत्तर पद में अकारान्त शब्दों को छोडकर सभी स्वरान्त शब्दों से सभी विभक्तियों का लोप हो जाता है । यानि सभी विभक्तियों का एक समान रूप बनेगा। जैसे-अधि-+ स्त्री का समास करने पर अधिस्त्री । स्त्री शब्द ह्रस्व करने पर अधिस्त्रि बना । सभी विभक्तियों में अधिस्त्रि रूप ही रहेगा। जैसे 'अधिस्त्रि मा पश्य' स्त्रियों में मत देखो। उपवधु, उपकर्तृ आदि। अकारान्त शब्दों के लिए नीचे लिखे दो नियम ध्यान में रखें-- नियम १६६-(अव्ययीभावस्यातोऽमपञ्चम्या : ३।२।२) अव्ययीभाव समास में उत्तरपद अकारान्त हो तो पंचमी विभक्ति को छोडकर सभी विभक्तियों को अम् आदेश हो जाता है । जैसे—उपकुम्भं तिष्ठति । उपकुम्भं पश्य । उपकुम्भं देहि । उपकुम्भं स्वामी । __ नियम १६७-(वा तृतीयासप्तम्यो : ३।२।३) अव्ययीभाव समास में उत्तरपद अकारान्त हो तो तृतीयां और सप्तमी विभक्ति को अम् आदेश विकल्प से होता है । उपकुम्भं कृतं, उपकुम्भेन कृतम् । उपकुम्भं स्थितम्, उपकुम्भे स्थितम् । नियम १६८-(अव्ययं कारक समीप समृद्ध........३।१।२३) अव्ययी'भाव समास में शब्दों के अव्यय इस प्रकार हैंअर्थ अव्यय विग्रह समास सप्तमी विभक्ति अधि नदीषु अधिनदि समीप उप कार्यालयस्य समीपं उपकार्यालयं जनानां समृद्धिः सुजैनं (ऋद्धि की अधिकता) (असंप्रति (वर्तमानकाले कम्बलस्य उपभोगं अतिकम्बलं 1 उपभोगादेः प्रतिषेधः) प्रति नायं कालः अर्थाभाव (वस्तुनोऽभावः) निर् जनानां अभावः अत्यय (अतीतत्वं) अति, निर् हिमस्यअत्ययः अतिहिम, निहिम असंपत्ति (ऋद्धेरभावः) दुर् यवनानामसंपत्तिः । दुर्यवनं समृद्धि निर्जन
SR No.032395
Book TitleVakya Rachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year1990
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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