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________________ उनका शुभ फल कालान्तर में अवश्य ही प्राप्त होता है। कुछ भी शाश्वत नहीं अणिच्चं च सरीरादि, विहवो णेव सस्सदो। णिच्चं सण्णिहिदो मिच्चू, कादव्वो धम्म-संगहो॥84॥ अन्वयार्थ-(अणिच्वं च सरीरादिं) शरीर आदि अनित्य हैं (विहवो सस्सदो णेव) वैभव शाश्वत नहीं है (मिच्चू णिच्वं सण्णिहिदो) मृत्यु हमेशा पीछे लगी हुई है, [इसलिए] (धम्म-संगहो) धर्म-संग्रह (कादव्वो) करना चाहिए। __ भावार्थ-ये दिखने वाले सुन्दर शरीर आदि नष्ट होने वाले हैं, धनसम्पत्ति, घर-परिवार और विशाल वैभव ये भी शाश्वत नहीं है तथा जन्म से ही मृत्यु हमेशा पीछे लगी हुई है, इसलिए बुद्धिमानों को चाहिए कि वे सच्चे धर्म का संग्रह करें। सच्ची-धार्मिक क्रियाओं के साथ आत्मस्वरूप की पहचान भी करें। उसके देव भी दास हो जाते हैं उज्जमं साहसं धीरं, बलं बुद्धी परक्कमो। छ एदे जस्स विज्जंते, तस्स देवो वि किंकरो॥85॥ अन्वयार्थ-(उज्जमं साहसं धीरं बलं बुद्धी परक्कमो) उद्यम, साहस, धैर्य, बल, बुद्धि, पराक्रम (जस्स छएदे विज्जंते) जिसके पास ये छह रहते हैं (तस्स देवो वि किंकरो) उसके देव भी किंकर हो जाते हैं। भावार्थ-जिस श्रेष्ठ पुण्यवान मनुष्य में उद्यम-परिश्रम, साहस-निडरता, धैर्य-धीरता, बल-ताकत, बुद्धि-विवेकज्ञान और पराक्रम-कार्य के प्रति सन्नद्धता, ये छह गुण (विशेषताएँ) पाये जाते हैं, उसके साधारण मनुष्य तो ठीक, देव भी किंकर-नौकर बन जाते हैं, सेवा और सहायता करने लग जाते हैं। उद्धम से कार्य होते हैं उज्जमेण हि सिझंति, कज्जाणि णो मणेण हि। उज्जमेण दु कीडा वि, भिंदंते महदं दुमं ॥86॥ अन्वयार्थ-(उज्जमेण हि कज्जाणि सिझंति) कार्य उद्यम से ही सिद्ध होते हैं। (णो मणेण हि) न कि केवल मन से (उज्जमेण दु कीडा वि) उद्यम से कीड़े भी (महदं दुमं) बड़े-वृक्ष को (भिंदंते) भेद डालते हैं। भावार्थ-वस्तुतः सभी कार्य योग्य पुरुषार्थ से ही सिद्ध होते हैं, केवल मन में विचार करते रहने से कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है। निरन्तर उद्यम (पुरुषार्थ) कर छोटे-छोटे कीड़े भी बड़े भारी वृक्ष को नष्ट कर डालते हैं। पुरुषार्थी व्यक्ति ही धन, 158 :: सुनील प्राकृत समग्र
SR No.032393
Book TitleSunil Prakrit Samagra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain, Damodar Shastri, Mahendrakumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2016
Total Pages412
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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