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________________ णिव्विग्घ-पारण गदं गणि-सम्मदिं च जाएज्ज णंद-परिणामि जणा वि साहू॥62॥ आचार्य महावीरकीर्ति, विमलसागर की दीक्षा को ध्यान करता संघ। यहाँ एकान्तर उपवास शील आचार्य सन्मतिसागर की पारणा पर साधु और श्रावकजन आनंद को प्राप्त हुए। 63 छब्बीसवे हु महवीर जयंति काले आयोजणं च अटले हु पहाणमंती। संपुण्ण देस-पुर-गाम-पदेसए हु कव्वं किदिं मुणि-सुणील-विमोचणं च॥63॥ छब्बीसवें (2600) महावीर जयन्ती के समय प्रधान मन्त्री अटलविहारी अनेक घोषणाएँ करते हैं। सम्पूर्ण देश, नगर, ग्राम एवं प्रदेश में यह आयोजन किया जाता है। इसी समय 'अहिंसावतार' नामक काव्य कृति का विमोचन भी होता है। 64 अस्सि अहिंसवतरं तध काल-जेयं अप्पं च संखग-सुघोस जयंति कित्तिं आयोज्जदे तिरह दीव-विहाण-एत्थ आहार दाण-अणुसंस-सुसावगाणं ॥64॥ इस प्रसंग पर 'अहिंसावतार-कृति 'कालजयी कविताएँ' जैसी सुनीलसागर जी कृतियों का विमोचन हुआ। जैन समाज को 2002 में अल्पसंख्यक मुख्यमन्त्री दिग्विजय सिंह ने घोषित किया गया। यहाँ तेरह द्वीप विधान हुआ। साधकों के लिए आहारदान का महत्व समझाया गया। 65 भोपाल-मज्झय-पदेसय-रज्जधाणी अप्पेल-माह-अहि-उण्ह-तवंत-काले। अप्पामदो हु मुणिराय-तवे तवंतो संतिप्पहुस्स तय-कल्लण-मण्णि-एत्थ ॥65॥ भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है। यहाँ अप्रैल में अधिक गर्मी से तपन बढ़ गयी। मई में ये अप्रमत्त मुनिराज (22 मई) शान्तिप्रभु के जन्म, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक मनवाते हैं। सम्मदि सम्भवो :: 213
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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