SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टूंडला में आचार्य आदिसागर के चरण स्थापित किए गये । शिकोहाबाद में सुंदरसागर दीक्षित हुए। चउरंसा ।। ।। ऽऽ 78 तव तववंता मुणिवर - सव्वे । चर चरवंता फिरजय - वादे ॥78 ॥ तप तपते मुनि एवं आचार्य सन्मतिसागर - फिरोजाबाद की ओर गतिशील हो जाते हैं। यमक 111 ||| 79 समय सुद समय पद । समय घर समय गद ॥79 ॥ ये मुनिवर समय - सरस्वती के सुत हैं, समय- सिद्धान्त में सुद- पररंगत होने के लिए समय पद-प्रत्येक सूत्र की समय - भावना को घर - समझते हैं और समय गत आराधना युक्त बने रहते हैं । ॥ इदि अट्टम सम्मदि समत्तो ॥ 154 :: सम्मदि सम्भवो
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy