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________________ शंखनारी ISS 1ऽऽ 74 असोगे विहारे सु-सोणे सुतित्थं पयाणं कुणेज्जा मुणी आगराए ॥74 ॥ संघ सोनागिर की ओर चल पड़ता है । वह अशोक विहार आदि से आगरा में आता है। तिल्ल 115 115 75 समदा- मुणिणो समहिं समदं । लभदे णयरे, तवदे जिठदे ॥75 ॥ तप्त जेष्ठवदी 10 मई 1996 को आगरा नगर में समत्व युक्त समता सागर समाधि को प्राप्त होते हैं । तिल्ल ।।ऽ 115 76 इदमादपुरे मुणि- आदि-गणिं । पदरोहणए, मुणिसेट्ठ हवे ॥76॥ एतमादपुर में आचार्य आदिसागर का आचार्य पदारोहण मनाया गया । यहीं पर श्रेष्ठ सागर मुनि बने । विज्जोहा 115 115 77 टूंडले पाए ठावणं किज्जदे । वादए सिक्कहे सुंदरो दिक्खदे ॥77॥ सम्मदि सम्भवो :: 153
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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