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________________ गजपंथा- चाउम्मासो 10 छक्केव - णो हु चदुमास गजे हु पंथे कुव्वेंति सत्तबल - भद्द - अडेव कोडिं णिव्वाण-ठाण- विजयं अचलं च णंदिं । दीइमित्त सुपहं सुदरिस्स बल्लं ॥10॥ सन् 1969 का चातुर्मास विजय, अचल, नन्दी, नन्दीमित्र, सुप्रभ, सुदर्शन एवं बलदेव के निर्वाण स्थान को प्राप्त स्थल गजपंथा पर करते हैं । यहाँ से सात बलदेव एवं आठ कोटि मुनियों को निर्वाण प्राप्त हुआ । 11 सिप्पी - गुहा चमरलेणि- गिरिस्स अथि सेढी चदुस्सद - गदे चदु अद्ध-बिंबं । हत्थीअ - चिट्ठ- गद- देविय- पासचिण्हं पोम्मावदी - मउडबद्ध - सुमुत्ति - दंसे ॥11॥ इधर गजपंथा में चामर लेणी गिरि की शिल्प युक्त गुफाएँ हैं । पर्वत पर जाने के लिए चार सौ सीढ़ियां है यहाँ चार हाथ ऊंचे बिंब को देखते हैं। यहाँ पार्श्वचिह्न युक्त मुकुटबद्ध हस्ति पर बैठी हुई पद्मावती की मूर्ति हैं। 12 अत्थे हु सण्णिगड-पंडवलेणि-‍ - गुप्फा अस्सिं च वीर पडिमा दुवि मल्लि बिंबा | कोडे जिणालय- सुमाण सुधम्म साला कुव्वेदि राम - चदुमास इधेव झाणं ॥12 ॥ यहाँ समीप में पांडवलेणी गुफा है, इसमें वीर प्रभु की प्रतिमा है । आगे दो गुफाएँ है जहाँ मल्लिप्रभु एवं अनेक जिन प्रतिमाएँ हैं । परकोटे में जिनालय मानस्तम्भ, धर्मशाला आदि हैं । यहाँ राम वर्षावास चतुर्मास ध्यान करते हैं । 13 एगे दिवे गुरु सिरी जिणबिंब अंके चिट्ठत - सप्प-कर- अंगुलि -गिण्हएज्जा । सो सम्मदी तव तवी मुद-झाण-चिट्ठे सामाइगे विसहरस्स विसो विसज्जे ॥13 ॥ सम्मदि सम्भव: : 103
SR No.032392
Book TitleSammadi Sambhavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2018
Total Pages280
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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