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________________ पाटणना राज्यकारभारमाथी जैन गृहस्थोनो हाथ निकलवा लाग्यो हतो, प्रसिद्ध पोरवाल वीर जैन मंत्री वस्तुपाल अने तेजपालना समयमां थोडाक वखतने माटे गुजरातनी झांखी पडेली कीर्ति पाछी उज्ज्वल बनी हती. जो के अजयपालना बखतथी गुजरातनी राज्यसत्ता मंद थवा मांडी हती तो पण वाघेला चौलुक्य सारंगदेव पर्यन्त गुजरात देश अने तेना राजाओए पोतानुं महत्त्व ठोक ठीक टकावी राख्यु हतुं, पण छेल्ला राजा करणवाघेलाना समयमां पाटण अने गुजरातना उपर हमेशाने माटे पराधीनतानो दंड पड्यो. १ - वनराजथी उगेल, सिद्धराज अने कुमारपालथी उन्नतिनी छेल्लो हदे पहोंचेल पाटणनी कीर्तिवल्ली करण वाघेलाना वखतमा सदाकालने माटे करमाई गई. आ प्रमाणे वनराज, भीमदेव, सिद्वराज, कुमारपाल जेथा युद्धवीरोना पराक्रमोथी, जांबक, चंपक, विमल, शांतु, .. पाटणनी राजगादी उपर चौलुक्य अने ए ज वंशनी चाघेला शाखाना राजाओ नीचेना क्रम प्रमाणे थया छे:-चौलुक्य राजाओ:-१ मूलराज (१) २ वामुंडराज ३ वल्लभराज ४ दुर्लभराज ५ भीमदेव (१) ६ कर्गदेव (१) ७ जयसिंहदेव (सिद्धराज) ८ कुमारपाल ९ अजयपाल १० मूलराज (२) ११ भीमदेव (२) १२ त्रिभुवनपाल । वाघेला राजाओ-१ धवल २ अर्णोराज ३ लवगप्रसाद ४ वीरधवल ५ वीसलदेव ६ अर्जुनदेव ७ सारंगदेव ८ कर्णदेव ।
SR No.032391
Book TitlePatan Chaitya Pparipati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijay Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages130
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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